Supreme court decision: 101 साल तक चली 2 भाइयों के बीच जमीन की कानूनी लड़ाई, सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसला
Supreme court news : जब छोटे-छोटे संपत्ति के विवाद होते हैं, तो वे आम तौर पर बड़े-बुजुर्गों से बात करके या आपस में ही हल हो जाते हैं, लेकिन कई बार परिवारों के संपत्ति विवाद (property division rules) ऐसे होते हैं कि कोर्ट में भी दशकों बीत जाते हैं। लगभग सौ वर्ष से चला आ रहा एक ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट में आया था। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।दो भाइयों के परिवारों में जमीन का विवाद था।

The Chopal, Supreme court news : वैसे तो कोर्ट में जमीन को लेकर कई तरह के विवाद (Supreme Court Verdict Property Dispute) होते हैं, लेकिन कुछ विवाद इतने कठिन होते हैं कि मामला बहुत उलझ जाता है और बहुत समय लगता है कि वह सुलझ जाए। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है, जो दो भाइयों के बीच करीब एक सौ एकड़ से चली आ रही कानूनी लड़ाई में आया है। आइये सुप्रीम कोर्ट की इस निर्णय को जानते हैं।
हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था
उत्तर प्रदेश में सौ साल से भी अधिक समय से चला आ रहा संपत्ति का विवाद अब समाप्त हो (property dispute) गया है। 1927 में दो भाइयों के बीच शुरू हुआ यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले ही इस मामले में निर्णय दिया था कि दो भाइयों के बीच जमीन की भागीदारी समान होगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट (High court news) के फैसले को सही माना। अब मामला निपट गया है और दो भाइयों के परिवारों को जमीन मिली है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का निर्णय सुरक्षित रखा—
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) का निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। हाईकोर्ट ने दो भाइयों को उनकी जमीन समान रूप से बांटने का आदेश दिया। सरकारी अधिकारी ने रामेसर और जागेसर के बीच परिवार की जमीन को बराबरी से बांटने का आदेश दिया। प्रोपर्टी (property knowledge) के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही माना। इन दो भाइयों का एक और भाई था सीताराम, जिसका कोई बच्चा नहीं था।
तीन भाइयों में से केवल दो ने जन्म लिया था—
रामेसर, जगेसर और सीताराम इस संपत्ति विवाद में शामिल हैं। तीनों भाइयों की संपत्ति का मामला था, जिनके पिता गजाधर मिश्रा थे (property case of three brothers)। इनमें से सिर्फ दो, यानी रामेसर और जगेसर, को बच्चा था, जबकि सीताराम अविवाहित था। मामले में जगेसर भगौती के पिता हैं, जबकि जगेसर तीन बेटों के पिता हैं: बासदेव, सरजू और साधू।
सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित टिप्पणी की:
1974 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट में संपत्ति विवाद (Property Dispute) से जुड़ा यह मामला आज से लगभग पचास वर्ष पहले आया था। सितंबर 2009 में हाईकोर्ट ने इस मामले में चकबंदी डिप्टी डायरेक्टर (Consolidation Deputy Director) के आदेशों को बरकरार रखा था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर अपनी मुहर लगाई और सही बताया। इस मामले में दखलअंदाजी करना सुप्रीम कोर्ट को उचित नहीं लगा। यह भी स्पष्ट नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट को दखल देने का कोई कारण है।
यह दावा खारिज कर दिया गया क्योंकि कोई प्रमाण नहीं मिला-
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बारे में कोई प्रमाण नहीं है कि रामेसर और सीताराम में से पहले कौन मर गया था। यहाँ भी, पुनरीक्षण अधिकारी ने कहा कि रामेसर और जागेसर के संतानों को जमीन का बराबर हिस्सा मिलेगा। हाई कोर्ट ने जगेसर की संतानों की मांग को खारिज कर दिया।