supreme court : पति और ससुराल वालों का स्त्रीधन पर कितना अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला
supreme court decision : शब्द "स्त्रीधन" बहुत चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन पर महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। लोगों को नहीं पता कि पति और ससुराल वालों का स्त्रीधन (stridhana) पर कितना हक है। बहुत से लोग स्त्रीधन की परिभाषा नहीं जानते। स्त्रीधन की परिभाषा आसान होने के साथ-साथ व्यापक भी है। आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने क्या महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि स्त्रीधन पर किसका अधिकार है।

The Chopal, supreme court decision : स्त्रीधन धन पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। स्त्रीधन शब्द देश के लोकसभा चुनाव के दौरान बार-बार सुनने को मिला। स्त्रीधन (Women's rights) आम तौर पर स्त्री के गहनों और उनके मंगलसूत्र को कहते हैं।
वहीं, शादी के दौरान मिली चीजों को कुछ लोग स्त्रीधन मानते हैं। इससे भी पूरी तरह से ससुराल वालों का अधिकार प्रकट होता है। लेकिन स्त्रीधन शब्द का बहुत बड़ा अर्थ है। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले में बताया कि स्त्रीधन पर पति, ससुर या किसी और व्यक्ति का कितना अधिकार है।
स्त्रीधन क्या है?
पहले स्त्रीधन को समझना चाहिए। स्त्रीधन (women's rights) के दायरे में कौनसी संपत्ति आती है? स्त्रीधन एक कानूनी नियम है, जो आम शब्द नहीं है। हिंदू कानून इसका उल्लेख करते हैं। स्त्रीधन का अर्थ है एक स्त्री का धन। इसमें उसकी संपत्ति, संपत्ति के कागजात और कई अन्य सामान शामिल हैं।
स्त्रीधन बचपन से
आम तौर पर लोगों का मानना है कि विवाह के बाद महिलाओं को मिलने वाले उपहार ही स्त्रीधन हैं (प्राथमिक अधिकारों की महिलाओं)। लेकिन स्त्रीधन में किसी भी महिला को बचपन से शादी के बाद तक मिलने वाली हर सुविधा मिलती है। रुपये से लेकर जमीन, गहने तक सब कुछ इसमें शामिल है। स्त्रीधन पर विवाहिता और अविवाहित दोनों का कानूनी अधिकार है।
शीर्ष न्यायालय ने बताया कि स्त्रीधन पर किसका अधिकार है
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। इसमें कहा गया है कि स्त्रीधन एक महिला का पूरा माल है। कोई भी स्त्री अपने स्त्रीधन को अपनी इच्छा से खर्च कर सकती है। यह महिला के कानूनी अधिकारों में से एक है। इस पर पति या ससुर को कोई कानूनी अधिकार नहीं है। स्त्रीधन उनको देने का अधिकार केवल महिलाओं को है। स्त्रीधन पत्नी की रजामंदी से प्रयोग किया जा सकता है।
ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
सुप्रीम कोर्ट में एक वैवाहिक विवाद स्त्रीधन पर पहुंचा। इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बैंच ने की। अदालत ने निर्णय दिया कि स्त्रीधन पर महिला का ही पूरा अधिकार है। इसमें शादी से पहले, शादी के दौरान और शादी के बाद सब कुछ शामिल है। इसमें माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति से मिला कोई उपहार या बर्तन शामिल है।
इस कानून में स्त्रीधन शामिल है
Hindi Succession Act 1956 की धारा 14 में स्त्रीधन के अधिकारों का उल्लेख है। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (Hindu Marriage Act 1955) की धारा 27 में भी स्त्रीधन का मुद्दा उठाया गया है। इसके अनुसार, एक महिला का पूरा अधिकार स्त्रीधन पर है। वहीं, 2005 के घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के अनुसार, घरेलू हिंसा का शिकार महिला कानून की मदद से स्त्रीधन पर अधिकार पा सकते हैं।
महिला को हर चीज वापस लानी होगी
स्त्रीधन में महिलाओं की हर संपत्ति शामिल है। ससुरालवाले अक्सर मंगलसूत्र को छोड़ देते हैं। कानून के अनुसार, वे सिर्फ स्त्रीधन के ट्रस्टी हैं। महिला को अपना सामान हर बार लौटाना होगा जब भी उसकी जरूरत होगी। कोई किसी महिला का स्त्रीधन जबरदस्ती नहीं रख सकता।
दहेज और स्त्रीधन दो अलग बातें हैं।
अक्सर लोग दहेज को स्त्रीधन में गिना जाता है, लेकिन दहेज या महिला अधिकारों की मांग पर कानून कार्रवाई करता है। वह सुंदर नहीं है। दहेज की शिकायत नहीं होने तक उसे गिफ्ट या स्त्रीधन के रूप में ही रखते हैं। दहेज और स्त्रीधन दो अलग-अलग बातें हैं। स्त्रीधन स्वइच्छा से दिया जाता है, लेकिन दहेज मांगा जाता है।
स्त्रीधन बेचने का अधिकार
महिला अपनी संपत्ति पर पूरी तरह से अधिकारी है। वह अपने स्त्रीधन को जब चाहे इस्तेमाल कर सकती है। वह उसे तोहफे या दान दे सकती है। बेच सकती है भी। महिला को पूरा कानूनी अधिकार है।