Highway और Expressway में क्या अंतर होता है, स्पीड लिमिट, टोल चार्ज समेत सारी डिटेल्स
Highway and Expressway : देश के अंदर रोज नए नए हाइवे, सड़के, एक्सप्रेस वे बनाकर उनका उद्घाटन किया जा रहा है, ये सभी लोगों को बड़े बड़े शहरों को आपस में जोड़ने काम करते है, ओर लोगों को सभी तरझ की सुविधा उपलब्ध करवाते है, एक्सप्रेस वे को हमेशा खास डिजाइन के साथ तथा पूरी मजबूती के साथ बनाया जाता है, एक्सप्रेस वे के अंदर 6 लेन से 8 लेन तक बनी होतीं है।
Highway Or Expressway In India : देश में इस वक्त रफ्तार क्रांति चल रही है। रोज नए-नए हाईवे और एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास या उद्घाटन हो रहा है। इस वक्त करीब-करीब सभी बड़े शहरों को आपस में जोड़ने के लिए दसियों एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। अब नेशनल हाईवे से ज्यादा एक्सप्रेस-वे की चर्चा हो रही है। ऐसे में सवाल यही है कि आखिर एक्सप्रेस-वे और हाइवे में क्या अंतर होता है। इन दोनों मार्गों की बनावट और इन पर चलने वाली गाड़ियों की स्पीड में क्या अंतर होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त देश में 4000 किमी से अधिक लंबे एक्सप्रेस-वे हैं। इसके अलावा 10 से अधिक एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इसमें सबसे प्रमुख है- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, द्वारका एक्सप्रेस-वे, मुंबई-नागपुर एक्सप्रेस-वे, गंगा एक्सप्रेस-वे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे, अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेस-वे, नर्मदा एक्सप्रेस-वे और रायपुर-विशाखापट्टनम एक्सप्रेस-वे। ये सभी एक्सप्रेस-वे अपने निर्माण के अंतिम चरण में हैं। इनसे देश के बड़े शहरों के बीच रफ्तार को लेकर एक नई क्रांति आने वाली है।
एक्सप्रेस-वे
अब सवाल यही है कि आखिर ये एक्सप्रेस-वे राष्ट्रीय राजमार्ग से क्यों अलग है। दरअसल, एक्सप्रेस-वे मौजूदा वक्त सबसे उच्च गुणवत्ता वाली सड़क का पर्याय है। ये विशेषतौर पर तैयार रोड होते हैं, जो दोनों तरफ से रेलिंग से घेरे गए होते हैं। इनकी ऊंचाई हाईवे से अधिक होती। ये आबादी वाले इलाके से पूरी तरह बाहर होते हैं। एक्सप्रेस-वे के किनारे कोई बसावट नहीं होती है। इसकी डिजाइन इस तरह की गई होती है कि इसमें कोई मोड़ नहीं होता। गाड़ियां सीधी चलती रहती है। इसमें जगह-जगह गाड़ियों के लिए एंट्री और एग्जिट प्वाइंट बनाए गए होते हैं। कुछ मिलाकर इन रोड्स को इस तरह डिजाइन किया गया होता है कि हाई स्पीड में गाड़ी चलाने वाले को किसी तरह का व्यवधान न झेलना पड़े। हाईवे और अन्य सड़कों के मुकाबले एक्सप्रेस-वे पर गाड़ियों की स्पीड काफी ज्यादा होती है। आमतौर पर देश में बने एक्सप्रेस-वे की चौड़ाई छह से आठ लेन की है। इन एक्सप्रेस-वे पर आपात स्थिति में विमान उतारने की भी सुविधा है। इन्हें रन-वे की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। मौजूदा वक्त में देश में सबसे लंबा ऑपरेशनल पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे है। इसके बाद उत्तर प्रदेश का ही लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे है। इसकी कुल लंबाई 302 किमी है।
अधिकतम स्पीड
एक्सप्रेस-वे पर नेशनल हाईवे की तुलना में अधिक स्पीड से गाड़ियां चलती हैं। वैसे ते अलग-अलग एक्सप्रेस-वे पर स्पीड लिमिट अलग-अलग है, लेकिन अधिकतर पर अधिकतम स्पीड लिमिट 120 किमी प्रति घंटे की है। जबकि हाईवे पर अधिकतम स्पीड 80 से 100 किमी प्रति घंटे की होती है। कई एक्सप्रेस-वे पर टू व्हीलर और थ्री व्हीलर की एंट्री बैन रही है। उदाहरण के लिए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर मोटर साइकिल चलाने पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे
देश में ही दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे भी बन रहा है। यह दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे। इसकी कुल लंबाई करीब 1300 किमी है। फिर दिल्ली-अमृतसर-कटरा के बीच 633 किमी लंबा एक्सप्रेस वे बन रहा है। ये दोनों एक्सप्रेस-वे जल्द ही पूरा होने वाले हैं।
हाईवे की तुलना में अधिक टोल टैक्स
एक्सप्रेस-वे पर आपको रफ्तार और बेहतरीन ड्राइविंग का आनंद मिलता है। मगर इसके साथ ही आपको अपनी जेबें भी ढीली करनी पड़ती है। सभी एक्सप्रेस-वे पर अच्छा खासा टोल टैक्स लगता है। औसतन यह दर 2 रुपये से साढ़े तीन रुपये प्रति किमी की होती है। देश के सबसे पुराने पुणे-मुंबई एक्सप्रेस-वे की लंबाई 95 किमी है और इसपर एक कार को टोल टैक्स के रूप में 320 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। इसी तरह लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर एक कार को 600 रुपये टोल भरना पड़ता है। इस एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 302 किमी है। हाइवे पर टोल इससे कम लगता है। उदाहरण के तौर पर लखनऊ से गोरखपुर के बीच की दूरी करीब 270 किमी है और इस दूरी को तय करने में सब मिलाकर 425 रुपये का टोल भरना होता है।