केंद्र सरकार ने पीएम-आशा योजना अनाज खरीद में निजी भागीदारी की खत्म

Minimum Support Price : देश में किसानों से कई फसल MSP (Minimum Support Price ) पर खरीदी जाती है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने योजना में बदलाव किया है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मोदी सरकार की तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरा होने पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। योजना में फेरबदल कर दिया गया है और केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी भी दे दी गई है।

 

Agriculture News : किसानों के लिए सरकार की तरफ से कई कल्याणकारी योजना चलाती रहती हैं। देश के किसानों के लिए जरूरी अपडेट सामने आई है। केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए पीएम आशा की प्रमुख योजना में बदलाव कर दिया गया है।  बता दे की सरकार की अनाज खरीद में निजी भागीदारी की अनुमति देने वाली अप योजनाओं को अब बंद कर दिया गया है।

मुख्य योजना में बदलाव 

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price ) देने के लिए प्रधानमंत्री-आशा की मुख्य योजना में बदलाव किया गया है। अनाज खरीद में निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति देने वाली एक अतिरिक्त योजना को उसने रद्द कर दिया है। बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि निजी खरीद और स्टॉकिस्ट योजना (PPPS), जो पहले PM-Asa के तहत प्रस्तुत की जाती थी, खत्म कर दी गई है। क्योंकि निजी कंपनियों की भागीदारी कम थी।

प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) 2018 में शुरू होने के बाद पीपीएसएस को कुछ समय तक पायलट आधार पर चलाया गया था। निजी कंपनियों का मानना था कि कीमतों में बड़ी गिरावट की स्थिति में पारिश्रमिक पर 15 प्रतिशत की सीमा बहुत कम है, इसलिए वे इसमें भागीदारी नहीं करते थे। उसने यह भी घोषणा की कि अगले महीने से वह हर मंगलवार को देश भर के किसानों और उनके संगठनों से मिलेंगे, उनकी शिकायतों को सुनेंगे और उनके मुद्दों को हल करेंगे।

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह घोषणा की कि अगले महीने से वह हर मंगलवार को देश भर के किसानों और उनके संगठनों से मिलेंगे और उनकी चिंताओं को सुनेंगे और समाधान किया जाएगा। मंत्री ने यह भी कहा कि जीएम फसलों पर कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और राष्ट्रीय सहमति नहीं मिली है।

चावल उत्पादन बेहतर होगा

कृषि मंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर पिछले वर्ष से चावल उत्पादन बेहतर होगा। नवंबर के आसपास काटे जाने वाले खरीफ धान का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा भारत का कुल उत्पादन है। सरकार का तीसरा अनुमान है कि 2022–2023 फसल वर्ष (जुलाई से जून) में खरीफ चावल का उत्पादन 114.36 मिलियन टन था। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पिछले सप्ताह तक 41 लाख हेक्टेयर चावल की जमीन बढ़कर 1.64 लाख हेक्टेयर हो गई है।