बाजार टूटने से तेलों के भाव में आई गिरावट, पामोलीन तेल 90 रुपये लीटर के करीब

 

देश भर में आयातित तेल खरीद भाव से और सस्ता होने से कारोबार की लगभग सभी गतिविधियां लगभग ठहराव की स्तिथि में है इसी कारण दिल्ली तेलसे तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेलसेतिलहन तथा सीपीओ, बिनौला, पामोलीन तेल सहित अधिकांश खाद्य तेल अपने पूर्व भाव पर ही बने रहे।

अब बाजार सूत्रों ने कहा कि आयातकों ने जिस भाव पर सोयाबीन डीगम और कच्चे पाम तेल का लाखों टन की मात्रा में आयात भी कर रखा है, फिलहाल बाजार टूटने के वजह से उन तेलों के दाम आयात भाव से अब काफी सस्ते हो गए हैं। अब नौबत यह है कि आयातक ने जिन कारोबारियों को यह तेल पहले से बेच रखा है, वे अब महंगे दाम पर सौदे उठाने से कतरा भी रहे हैं और आयातक से वे महीनेसेडेढ़ महीने का समय मांग रहे हैं। अब आयातक न तो उस सौदे को बेच पा रहा है और आगे कोई सौदा नहीं कर पा रहा है। नतीजा यह है कि आयातित माल उठाया नहीं जा रहा और ठहराव जैसी स्थिति है। 

देश के आयातकों के बैंक के कर्ज डूबने का खतरा अब बढ़ा

अचानक उड़ते विमान में ऐलान हुआ कि तेल खत्म हो गया, और फिर इससे आयातकों के बैंक के कर्ज डूबने का खतरा बढ़ गया है। आयातकों की तरह तेल उद्योग भी देश में संकट के दौर से गुजर रहा है। इसके अलावा देश में तेल से तिलहन उत्पादन बढ़ाने की मुहिम को भी इससे धक्का लग सकता है। अक्टूबर में सोयाबीन की फसल आने पर किसानों को अपनी उपज बेचने को लेकर भी चिंता भी सता रही है कि सस्ते आयातित तेल की देश में प्रचुर मात्रा में मौजूदगी के बीच उनकी तिलहन फसल का ऊंचे भाव पर कौन खरीद दार होगा। इस स्थिति के बीच सोपा जैसे कई तेल संगठनों और खाद्य तेल कारोबार के विशेषज्ञों ने सरकार से आयातित तेलों पर आयात शुल्क लगाने की मांग की भी की है।

अब आयातित तेलों के लिए सही भाव पर खरीद करने वाले लिवाल नहीं

बाजार के सूत्रों ने कहा कि बाजार में कारोबारी गतिविधियां कुछ कम हुई हैं और आयातित तेलों के लिए सही भाव पर खरीद करने वाले लिवाल भी नहीं हैं। मजबूरी में आयातकों को कुछ मात्रा का सस्ते में बेचने की नौबत फिलहाल बनी हुई है। अभी जब पामोलीन तेल लगभग 90 रुपये लीटर (अगस्त शिपमेंट) है तो इसके मुकाबले अगले बढ़े हुए एमएसपी (संभावित) वाला सरसों महंगा पड़ेगा और ऐसे में उसे सस्ते सीपीओ और सोयाबीन डीगम जैसे तेलों से बाजार में प्रतिस्पर्धा करना बहुत मुश्किल होगा।

 सूत्रों ने कहा कि सरकार को परिस्थितियों पर सूक्ष्मता के साथ लगातार निगरानी रखते हुए फैसले करने पड़ेंगे नहीं तो हमारे देश को तेलसेतिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता दिलाने का सपना इस तरह से धराशायी हो सकता है। सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा खाद्य तेलों से मिलने वाला पशु आहार भी कहां से आयेगा? जैसा कि जानते है कि सीपीओ और पामोलीन से हमें पशु आहार (खल) भी प्राप्त नहीं होता।

सोमवार को तेलसेतिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

     सरसों तिलहन से 7,120 से 7,170 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल तक 
     मूंगफली से 6,795 से 6,920 रुपये प्रति क्विंटल।
     मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) से 16,000 रुपये प्रति क्विंटल।
     मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,670 से 2,860 रुपये प्रति टिन।
     सरसों तेल दादरी से 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।
     सरसों पक्की घानी से 2,250 से 2,330 रुपये प्रति टिन।
     सरसों कच्ची घानी से 2,280 से 2,395 रुपये प्रति टिन।
     तिल तेल मिल डिलिवरी से 17,000 से 18,500 रुपये प्रति क्विंटल।
     सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली से 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।
     सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर से 12,850 रुपये प्रति क्विंटल।
     सोयाबीन तेल डीगम, कांडलासे 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।
     सीपीओ एक्ससेकांडला से 11,000 रुपये प्रति क्विंटल।
     बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) से 13,950 रुपये प्रति क्विंटल।
     पामोलिन आरबीडी, दिल्ली से 12,750 रुपये प्रति क्विंटल।
     पामोलिन एक्ससे कांडला से 11,600 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
     सोयाबीन दाना से 6,250 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल।
     सोयाबीन लूज 6,025 से 6,100 रुपये प्रति क्विंटल।
     मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।