Wheat Price: गेहूँ की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर, अगर नहीं हुए भाव काबू तो पाकिस्तान जैसे हालातों के आसार  

 

The Chopal, नई दिल्ली: देश में गेहूं की कीमत सोमवार को रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में डीलरों और किसानों के हवाले से बताया गया है कि पिछले साल कम उत्पादन के कारण घरेलू बाजार में गेहूं की कमी भी हो गई है। केंद्र सरकार एक्स्ट्रा स्टॉक जारी करने में देर भी कर रही है। इससे मार्केट में सप्लाई कम है और कीमतें भी चढ़ रही हैं। भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी है। लेकिन पिछले साल गर्मी बढ़ने से गेहूं का उत्पादन प्रभावित भी हुआ था। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दुनियाभर में गेहूं का संकट भी पैदा हो गया था। इससे भारत से निर्यात बढ़ने भी लगा था और घरेलू स्तर पर कीमतें भी चढ़ रही थीं। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर बैन भी लगा दिया था।

लेकिन एक्सपोर्ट पर बैन के बावजूद देश में गेहूं की कीमत अब थमने का नाम नहीं ले रही है। बाजार ट्रेडर्स का कहना है कि यह इस बात का संकेत है कि पिछले साल गेहूं के उत्पादन में काफी कमी आई थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2022 में देश में गेहूं का उत्पादन 10.684 करोड़ टन रहा था जो एक साल पहले 10.959 करोड़ टन तक था। इंदौर के ट्रेडर गोपालदास अग्रवाल ने कहा कि किसान अपनी फसल बेच भी चुके हैं, व्यापारियों के पास गेहूं नहीं बचा है लेकिन मांग अब मजबूत बनी हुई है। डिमांड के अनुसार सप्लाई नहीं होने से कीमतें चढ़ रही हैं। अगली फसल आने तक कीमत में कमी आने की उम्मीद भी नहीं है।

भारत देश में गेहूं की बुवाई अक्टूबर-नवंबर के महीने में होती है और कटाई मार्च में होती है। मध्य इंदौर मार्केट में गेहूं की कीमत रेकॉर्ड 29,375 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है। इस महीने इसकी कीमत में 7 % तेजी आ चुकी है। बीते साल देश में गेहूं की कीमत में 37 % तक तेजी आई थी। दिल्ली में सोमवार को गेहूं की कीमत में करीब दो % तक तेजी आई और यह रिकॉर्ड 31,508 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई। एक ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म में डीलर ने कहा कि अगर सरकार ने अगले 15 दिन में गेहूं का स्टॉक जारी नहीं किया तो इसकी कीमत में 5 से 6 % तेजी आ सकती है।

नई दिल्ली के ट्रेडर राजेश पहाड़िया जैन ने कहा कि आटे की मिलों को भी पर्याप्त गेहूं भी नहीं मिल पा रहा है और दाम बहुत ज्यादा है। सरकार के पास अब टालमटोल करने का समय भी नहीं है। केंद्र सरकार का कहना है कि वह गेहूं की कीमत को बढ़ने से रोकने के लिए उपाय भी करेगी। मिल मालिकों और बिस्कुट बनाने वाली कंपनियों की मदद के लिए सरकार अपने भंडार में से 20 से 30 लाख टन गेहूं जारी भी कर सकती है। 15 दिसंबर तक केंद्रीय पूल में लगभग 180 लाख टन गेहूं उपलब्ध था। नई गेहूं फसल की खरीद अप्रैल 2023 से फिर शुरू होगी।

इतनी बढ़ गई कीमत

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 27 दिसंबर को गेहूं का औसत खुदरा मूल्य 32.25 रुपये प्रति किलोग्राम तक था जो एक साल पहले 28.53 रुपये प्रति किलोग्राम तक था। गेहूं के आटे की कीमत भी एक साल पहले के 31.74 रुपये प्रति किलोग्राम की तुलना में 37.25 रुपये प्रति किलोग्राम तक बनी रही। नए गेहूं की फसल की संभावना भी बेहतर दिख रही है क्योंकि अब तक इसकी खेती का कुल रकबा ज्यादा है। आटा मिलों ने खुले बाजार में गेहूं की कमी को पूरा करने के लिए सरकार से FCI गोदामों से गेहूं के स्टॉक को बाजार में लाने की मांग की है।