दोस्त के आइडिया ने मजदूर को बना दिया लखपति, घर बैठ कर रहा 7 से 8 लाख की कमाई

Labor Boy Make Millionaire : प्रदीप कुमार ने बताया कि वह पिछले लगभग दस वर्षों से इस काम में लगे हुए हैं। जिसमें 60 से 70 हजार रुपये खर्च होते हैं, लेकिन इसमें काफी मुनाफा मिलता है। इसके अलावा, वह बताते हैं कि सूअर एक बार में बहुत सारे बच्चे पैदा करते हैं।
 

The Chopal, Success Story : काफी वर्षों से यह कहावत चली आ रही है कि मंजिल आसान होती है अगर दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो। रायबरेली के निवासी प्रदीप कुमार भी कुछ ऐसा ही हुआ। जो आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन गया है। आज हम आपको रायबरेली जिले के एक सूअर पालक किसान के बारे में बताने जा रहे हैं।

वास्तव में, प्रदीप कुमार एक गरीब परिवार से थे और वे रायबरेली जिले के शिवगढ़ थाना क्षेत्र के कुंभी गांव में रहते थे। पिता किसी तरह काम करके परिवार को पालते थे। इसलिए वह अपनी पढ़ाई का खर्च वहन नहीं कर सका। इसलिए वह सरकारी स्कूल से आठवी तक ही पढ़ा। घर की खराब आर्थिक स्थिति के कारण वह आगे की पढ़ाई नहीं कर सका। जब वह आगे की पढ़ाई नहीं कर सका, प्रदीप ने अपने पिता के साथ मजदूरी करना शुरू कर दिया। वह काम करते समय एक दिन कुलदीप कुमार से मिले। प्रदीप को सुअर पालन के बारे में कुलदीप कुमार ने बताया। उसकी सलाह को मानकर प्रदीप ने सुअर पालन शुरू किया, जो आज उसे अच्छी कमाई देता है।

पिछले दस वर्षों से कर रहा है

प्रदीप कुमार ने बताया कि वह पिछले लगभग दस वर्षों से इस काम में लगे हुए हैं। जिसमें 60 से 70 हजार रुपये खर्च होते हैं, लेकिन इसमें काफी मुनाफा मिलता है। इसके अलावा, वह बताते हैं कि सूअर एक बार में बहुत सारे बच्चे पैदा करते हैं। उनकी देखभाल के लिए कई सुविधाओं का प्रबंध करना होगा। वह चावल की पालिश और चूनी चोकर बनाकर खाते हैं। साथ ही, वे नियमित रूप से उनके स्वास्थ्य की जांच करते हैं।

सुअर पालन में बदलाव

प्रदीप कुमार ने बताया कि सूअर पालन के क्षेत्र में दूसरे क्षेत्रों की तुलना में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया जाता है। क्योंकि इसमें कम लागत और अधिक मुनाफा है। वह बताते हैं कि आठवीं तक पढ़ाई करने के बाद उन्हें लगता था कि अब नौकरी भी नहीं मिलेगी। यही कारण था कि वह अपने पिता के साथ दिहाड़ी पर काम करने लगे। लेकिन उनका जीवन उनके दोस्त कुलदीप कुमार की सलाह से बदल गया। अब वह आसानी से 7 से 8 लाख रुपए प्रति वर्ष कमाई करते हैं। आगे बताते हैं कि उन्हें सूअर की बिक्री के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता। उनके बाड़े ही सूअर बेचते हैं।