मखाने की खेती पर सरकार दे रही 75 प्रतिशत सब्सिडी, किसानों को मिलेगा 72000 रुपए का फायदा 

मखाने का 80% उत्पादन बिहार राज्य द्वारा किया जाता है। सरकार द्वारा मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर सब्सिडी योजना चलाई जाती है। मखाने की खेती में पानी की अधिक जरूरत होती है।
 

Subsidy on makhana cultivation : भारत के बिहार राज्य में मखाने की खेती बड़े स्तर पर की जाती है. मखाने की खेती करने के लिए पानी की जरूरत सबसे अधिक होती है। मखाने में स्वास्थ्य के प्रति कई लाभकारी गुण पाए जाते हैं। जिसकी वजह से मार्केट में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है और मखाने को दुनिया भर में इस्तेमाल किया जाता है। 

बता दें कि मखाने का 80% उत्पादन बिहार राज्य द्वारा किया जाता है। सरकार द्वारा मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर सब्सिडी योजना चलाई जाती है। मखाने की खेती में पानी की अधिक जरूरत होती है। इसलिए जिन किसानों के पास खेत में बाढ़ का पानी जमा हो गया है। वह भी मखाने की खेती कर सकते हैं। 

मखाने की खेती करने का सही मौका मार्च महीने से शुरू हो जाता है। और इसे अगस्त सितंबर तक हार्वेस्ट किया जा सकता है। इसकी खास बात ये है कि इसे साल में दो बार लगाया जा सकता है। मखाने में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं। जिसकी वजह से इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। 

मखाने के चमत्कारी गुण 

मखाने को पौष्टिक तत्वों का खजाना कहा जा सकता है। मार्केट में इसकी मांग सबसे अधिक इसलिए बनी रहती है, क्योंकि इसमें फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है। मखाने में 14.5 ग्राम, फाइबर 9.7 ग्राम मिलता है। इसके साथ-साथ इसमें कई प्रकार के पौष्टिक तत्व मैग्निशियम, कैलशियम, पोटैशियम और फास्फोरस भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। रोज मखाने का सेवन करने से शरीर का शुगर लेवल भी सही रहता है। 

सरकार ने चलाई योजना 

समय-समय पर बिहार सरकार द्वारा मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं चलाई जाती रहती है। इसी कड़ी में मखाना विकास योजना चलाई जा रही है। बिहार सरकार द्वारा मखाने की खेती में आने वाली लागत 97000 रुपए प्रति हेक्टेयर तय की गई है। जिसके तहत सरकार द्वारा 75% सब्सिडी दी जा रही है जो करीबन 72,750 बनती है। 

अगर कोई भी किसान भाई मखाने की खेती करता है तो उसका खर्च सिर्फ ₹25000 आने वाला है। क्योंकि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना के तहत बाकी का पैसा सब्सिडी के रूप में मिल जाएगा। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना के तहत दो किस्म के मखाने को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें से मखाना-1 और स्वर्ण वैदेही प्रभेद के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

मखाने की खेती का तरीका 

मखाने की खेती करने में करीबन 2 महीने का समय लग जाता है। मखाने में लगने वाले फल कांटेदार होते हैं। जो एक-दो महीने में चल पाते हैं। इस प्रक्रिया के बाद मखाने को किसान पानी की निचली सतह से निकालते हैं। वही पानी निकाल कर मखाने के बीजों को धूप में सुखाया जाता है और फिर ग्रेडिंग की जाती है।