Income Tax: चाट-पकौड़ी बेचने के पास मिला करोड़ों का धन 

GST रजिस्ट्रेशन और आयकर विभाग की जांच में ऐसे 256 ठेले वाले करोड़पति पाए गए हैं। IT विभाग के अधिकारी डेटा सॉफ्टवेयर और अन्य तकनीकि टूल्स की मदद से अपनी कुंडली खुलने पर दंग रह गए.. नीचे खबर में जानिए पूरा मामला क्या है।  

 

The Chopal, Income Tax - दक्षिणी राज्यों में बहुत साधारण और गरीब लोगों के करोड़पति होने की खबरें अक्सर लोगों को हैरान करती हैं। बीच बाजार या सड़क पर इन लोगों को चाट-पकौड़ी, खस्ता-कचौड़ी, चाय-समोसा और पान की गुमटी में देखा जा सकता है।

कई सालों से ऐसा कर रहे कारोबारी पुलिस और कमेटी के आने पर सामान समेट कर निकल जाते हैं, जो खाद्य सुरक्षा का भरोसा दिलाने वाला FSSAI सर्टिफिकेट नहीं रखते हैं। ऐसे मामलों को लेकर इस बार राज्य का कानपुर शहर चर्चा में है। यहाँ 250 से अधिक ऐसे रईसों का एक कच्चा-चिठ्ठा सामने आया है।

हैरान करने वाली घोषणाएं:

आपके गली-मोहल्ले के छोटे-छोटे किराना और दवा व्यापारी भी ऐसे करोड़पति हैं। हाल ही में हुए खुलासे को देखकर लगता है कि आपके शहर के मोड़ पर फल बेचने वाला व्यक्ति भी करोड़पति हो सकता है। इसका कारण यह है कि आयकर विभाग की जांच में कुछ फल विक्रेता भी सैकड़ों बीघा खेती लायक जमीन के मालिक और करोड़पति पाए गए हैं। 

कबाड़ी के पास करोड़ों की संपत्ति: कोरोनावायरस के दौरान आपके पास एक कार है और आपको ईएमआई देने में परेशानी हो रही है, लेकिन कानपुर के अज्ञात लोगों से पता चला है कि कबाड़ी के पास तीन या चार कार हैं। ऐसे लोग आयकर (आयकर) पर कम टैक्स देते हैं और जीएसटी (GST) से बहुत दूर हैं। शहर के लालबंगला इलाके में रहने वाले दो कबाड़ियों ने दो साल में तीन संपत्ति खरीदीं, जिनकी कीमत दस करोड़ से अधिक थी।

आयकर विभाग ने अपनी जांच में लंबे समय से इन दिखने में 'गरीब' दिखने वाले गुप्त धन्नासेठों पर निगरानी रखी है। GST रजिस्ट्रेशन और आयकर विभाग की जांच में ऐसे 256 ठेले वाले करोड़पति पाए गए हैं। IT विभाग के अधिकारी दंग रह गए जब डेटा सॉफ्टवेयर और तकनीकी टूल्स की मदद से उनकी कुंडली खुली। 

"चार साल में 400 करोड़ रुपये की संपत्ति का खेल"-

 समाचार पत्र ने बताया कि इन व्यापारियों ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बाहर एक पैसा भी टैक्स नहीं दिया, लेकिन चार साल में करीब 375 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदी गई ली। ये संपत्ति आर्यनगर, स्वरूप नगर, बिरहाना रोड, हूलागंज, पीरोड और गुमटी में खरीदी गई, जो सबसे महंगे शहरी क्षेत्र हैं। उन्हें दक्षिण कानपुर में रिहायशी जमीन भी मिली। 30 करोड़ से अधिक केवीपी खरीदें। ये भी 650 बीघा कृषि जमीन का मालिक बन गए।

पान करने वालों और खस्ता-चाट करने वालों का निवेश होश उड़ा देगा—

कोरोना काल में, बिरहाना रोड की दो पान दुकानों के मालिकों ने पांच करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदी है. ये दुकानें आर्यनगर, स्वरूप नगर और बिरहाना रोड में हैं। एक छोटा सा ठेला मालरोड पर प्रति महीने सवा लाख रुपए किराया देता है। वहीं बिरहाना रोड, माल रोड और पी रोड के चाट व्यापारियों ने जमीन पर काफी निवेश किया. स्वरूप नगर और हूलागंज के दो खस्ते वालों ने भी दो इमारतें खरीद लीं। 

इस तरह से भी पकड़ी गई कर चोरी: 65 से अधिक छोटे किराना और दवा व्यापारी जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बाहर हैं, जिन्होंने करोड़ों रुपए कमाए हैं। कई लोगों ने अपने भाई, बहन, भाभी, चाचा और मामा के नाम पर संपत्ति में निवेश किया, क्योंकि सरकारी नज़र से बचने के लिए किसी ने सहकारी बैंकों और छोटी फाइनेंस वाली स्कीमों का सहारा लिया। चालाकी दिखाने वाले लोगों ने अपना पैन कार्ड सरकारी दस्तावेजों में डाल दिया। एक संपत्ति में पैन कार्ड और आधार मिलते ही उनका कच्चा चिट्ठा खुल गया।

ऐसे रईसों का पहले भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में पता चला था। लेकिन इतने छुपे रुस्तम एक साथ पकड़े गए हैं, शायद पहली बार है। 2019 में अलीगढ़ में एक बहुत चौंकाने वाला मामला हुआ। जांच में वाणिज्य कर विभाग की टीम ने एक छोटे से कचौड़ी व्यापारी के 60 लाख रुपये सालाना टर्न ओवर होने का खुलासा किया। 

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