Income Tax - सेविंग अकाउंट या फिर एफडी, इस तरह लगता है ब्याज पर टैक्स!

Tax on Interest Income: यदि आप किसी भी मदद से ब्याज लेते हैं, तो यह आपकी आय का एक और स्रोत होता है। इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, इस पर भी टैक्स लगाया जाता है, जैसा कि अन्य स्रोतों पर, आइये इसके बारे में पूरी जानकारी पढ़ें।

 

The Chopal, Tax on Interest Income: आदमी हर समय कुछ निवेश करता रहता है। वैसे, अधिकांश लोग सुरक्षित निवेश विकल्पों को चुनते हैं। लोग फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट या सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) में पैसे निवेश करना चाहते हैं। क्योंकि यह किसी गिरावट या कठिन समय में कोई फर्क नहीं पड़ता।

मुख्य आय, यानी इनकम पर टैक्स लगता है, ब्याज, यानी इंटरेस्ट पर भी टैक्स लगता है। सेविंग्स अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस स्कीम्स, रेकरिंग डिपॉजिट (RD और बॉन्ड) में करोड़ों लोग निवेश करते हैं। इस निवेश से ब्याज प्राप्त करें। ब्याज से कमाया धन टैक्स योग्य है। वास्तव में, बहुत से टैक्सपेयर इसके बारे में नहीं जानते हैं और इसलिए ऐसी कमाई को रिटर्न में नहीं बताते हैं। हम जानते हैं कि ब्याज से कमाई (interest income) पर टैक्स लगता है..।

ब्याज पर टैक्स

आयकर कानून की धारा 80TTA के तहत, एक वित्त वर्ष में 10 हजार रुपये तक का ब्याज टैक्स-मुक्त है। डिडक्शन की ये सीमा प्रत्येक बैंक अकाउंट पर लागू नहीं होती; बल्कि, वे सभी बचत अकाउंट्स से प्राप्त ब्याज की रकम को एकत्रित करते हैं। 60 वर्ष से कम उम्र के लोगों और HUF (हिंदू एकल परिवार) के लिए यह कटौती लागू होती है। 10 हजार रुपये से अधिक के बचत खातों का ब्याज 10,000 रुपये से अधिक होने पर टैक्स लगेगा।

टैक्सपेयर को एक वित्त वर्ष में सभी बचत खातों से प्राप्त ब्याज को ITR में "इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज" में दिखाना होगा। ब्याज आपके कुल आय में जोड़ जाएगा। आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से भुगतान करना होगा।

एफडी से मिलने वाली आय पर टैक्स

बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट से कमाया ब्याज आम लोगों (इन्डिविजुअल) के लिए पूरी तरह से टैक्स के दायरे में है। सीनियर सिटीजन, यानी 60 वर्ष से ऊपर, सेविंग्स अकाउंट और फंडिंग डेस्क से कमाए ब्याज पर 50,000 रुपये तक का डिडक्शन मांग सकते हैं। डिडक्शन का फायदा लेने के लिए ब्याज को ITR में दिखाना होगा, और डिडक्शन सेक्शन 80TTB के तहत लिया जा सकता है। 60 साल से छोटे लोगों को 80TTB का लाभ नहीं मिलता।

बैंक भी FD का ब्याज एक सीमा से ज्यादा होने पर 10 फीसदी की दर से TDS काटते हैं। सीनियर सिटीजन की सीमा पचास हजार रुपये है, जबकि गैर-सीनियर सिटीजन (60 साल से कम) की सीमा चालिस हजार रुपये है। आपकी ब्याज समेत कुल आय बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से कम होने पर फॉर्म-15G/15H फाइल करके टीडीएस कटने से रोक सकते हैं।

60 साल से कम उम्र के करदाताओं के लिए पुरानी यानी ओल्ड टैक्स रिजीम में मूल्यांकन सीमा ढाई लाख रुपये है। सीनियर सिटीजन, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लिए 3 लाख रुपये की सीमा है, जबकि सुपर सीनियर सिटीजन, 80 वर्ष से अधिक उम्र के लिए 5 लाख रुपये की सीमा है। 2023-24 से, न्यू टैक्स रिजीम में मूल्यांकन सीमा 3 लाख रुपये है।

स्मॉल सेविंग स्कीम से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स

रेकरिंग डिपॉजिट (RD), किसान विकास पत्र (KVP) और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) से प्राप्त ब्याज पर भी टैक्स लगता है। ब्याज की रकम आपकी आय में जुड़ेगी और जिस इनकम स्लैब में आप आते हैं, उसी हिसाब से टैक्स देना होगा। ठीक उसी तरह, SCSS, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम, सीनियर सिटीजन के बीच बहुत लोकप्रिय है। उन्हें इसमें निवेश करने पर नियमित ब्याज मिलता है। इस स्कीम से प्राप्त ब्याज पर भी टैक्स लगता है। टैक्स नहीं लगेगा अगर ब्याज समेत कुल कमाई बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से कम है।

पूरी तरह से टैक्स-मुक्त ये योजनाएं

PPF, या Public Provident Fund, एक विशिष्ट बचत स्कीम है, जो EEE (Exempt-Exempt-Exempt) कैटेगरी में आती है। इसका अर्थ है कि PPF में जमा प्रिंसिपल अमाउंट, ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलने वाला धन टैक्स-मुक्त है।

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