Property Dispute : इस तरह झट से पहचान लेंगे नकली रजिस्ट्री, नहीं होगी परेशानी

आज हर रोज़ अरबों रूपए की प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त होती है और प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए आपको बहुत सारे दस्तावेज़ों की जरूरत पड़ती है जिस में से रजिस्ट्री सबसे अहम है और इसके बिना आप किसी भी ज़मीन के मालिक नहीं बन सकते पर आज के समय में धोखा धड़ी के मामले भी बहुत बढ़ गए है तो कुछ लोग नकली रजिस्ट्री बना कर भी ज़मीन को बेच देते हैं , ऐसे में आपके लिए असली और नकली रजिस्ट्री के बीच पहचान करना बहुत जरूरी है और आज हम आपको इसके बारे में ही बताने जा रहे हैं

 

The Chopal : आज के समय में बहुत सारे लोग रहने के लिए या कोई बिज़नेस करने के लिए प्रॉपर्टी खरीदते हैं और इसके साथ ही प्रॉपर्टी निवेश करने का भी आज के समय में एक अच्छा ऑप्शन है। अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं तो आपको इससे जुड़ी सभी जानकारी पहले से ही पता होना चाहिए. क्योंकि देश में जमीन की रजिस्ट्री से जुड़े घोटाले अक्सर सामने आते रहते हैं. कई बार शातिर बदमाश उसी जमीन की सरकारी जमीन की दोहरी रजिस्ट्री करवाकर लोगों से ठगी करते हैं. ऐसे फर्जीवाड़े से बचने के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति को असली और नकली रजिस्ट्री में फर्क पता होना चाहिए.

बता दें कि भारत में रजिस्ट्री एक कानूनी प्रक्रिया है. जिसके आधार पर जमीन की खरीद बिक्री की जाती है. लेकिन इस दौरान कुछ शातिर लोग जमीन खरीदार की समझ की कमी का फायदा उठाते हैं और धोखाधड़ी करते हैं. आइए आपको बताते हैं कि रजिस्ट्री के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि फर्जी रजिस्ट्री का आसानी से पता चल सके.

ऐसे करें असली और नकली की पहचान 

आमतौर पर लोग जमीन (property big news) की रजिस्ट्री और खतौनी के दस्तावेज ही देखते हैं लेकिन इतना ही काफी नहीं है क्योंकि इन दस्तावेजों को देखकर इस बात की पुष्टि नहीं हो सकती कि जमीन बेचने वाले का जमीन पर मालिकाना हक है या नहीं? जमीन की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े से जुड़े मामलों से बचने के लिए सबसे पहले आपको जमीन की नई और पुरानी रजिस्ट्री देखनी चाहिए. यदि वह व्यक्ति जो आपको जमीन बेच रहा है उसने किसी और से जमीन खरीदी है तो क्या उस व्यक्ति के पास जमीन की रजिस्ट्री कराने का कानूनी अधिकार है? वहीं, आप खतौनी की जांच करा लें जिसमें आप खतौनी में आदेश देखिए.

जरूर चेक करें ये रिकॉर्ड 

कई बार वसीयत या डबल रजिस्ट्री का मामला कोर्ट में लंबित होता है. इसलिए जब भी जमीन खरीदें तो देख लें कि उस पर कोई केस पेंडिंग तो नहीं है. इसके अलावा चकबंदी के अभिलेख 41 व 45 देखे जाएं, जिससे यह पता चल सके कि यह भूमि किस कैटेगरी की है. या तो यह सरकारी जमीन नहीं है या गलती से विक्रेता के नाम पर नहीं आई है. चकबंदी के अभिलेख 41 व 45 से भूमि की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो जाती है कि भूमि सरकार की है, वन विभाग की है या रेलवे की. यह भूमि का सबसे महत्वपूर्ण अभिलेख है.

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