RBI की नया लोन लेने वालों को बड़ी राहत, बैंकों को जारी की गाइडलाइन

RBI -हाल ही में आरबीआई ने कंज्यूमर लोन को लेकर बड़ा एलान करते हुए कहा कि लोन लेते समय दूसरी फीस ब्याज में शामिल होनी चाहिए। दूसरी फीस की वजह से वास्तविक ब्याज दर बढ़ जाती है... ऐसे में आइए नीचे खबर में जान लेते है आरबीआई की ओर से आई इस नई गाइडलाइन से जुड़ी पूरी डिटेल। 

 

The Chopal : सबसे पहले आपको प्रोसेसिंग फीस के बारे में बताते हैं. जब कोई व्यक्ति लोन लेने जाता है तो उससे जुड़े डॉक्युमेंट और कामों के लिए बैंक एक फीस वसूलता है. क्योंकि लोन लेने वाले का मूल्यांकन कई आधार पर किया जाता है.

इसमें KYC वेरीफिकेशन, वित्तीय मूल्यांकन (financial assessment), नौकरी, घर और ऑफिस के पते का वेरीफिकेशन, क्रेडिट हिस्ट्री का मूल्यांकन शामिल होते है. इन सभी कामों में काफी खर्च आता है. इसीलिए बैंक आधा से एक फीसदी तक कुल लोन का प्रोसेसिंग फीस लेते है. अब इस पर आरबीआई ने बड़ा एलान किया है.

RBI का प्रोसेसिंग फीस पर बड़ा एलान- 

कंज्यूमर लोन को लेकर RBI ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि लोन लेते समय दूसरी फीस ब्याज में शामिल होनी चाहिए. दूसरी फीस की वजह से वास्तविक ब्याज दर बढ़ जाती है. इस पर एक्सपर्ट का कहना है कि RBI के फैसले से लोन में पारदर्शिता बढ़ेगी.

SBI के एमडी अश्विनी कुमार तिवारी ने सीएनबीसी आवाज़ को बताया कि इससे सुनने के बाद पहली प्रतिक्रिया के तौर पर यहीं कह सकता हूं कि अभी तक ब्याज दरें और फीस को अलग अलग रखा जाता है और इसे लोन लेते समय ही वसूला जाता है.

अगर अब इसे जोड़ा जाता है तो ग्राहक के लिए इसे कंपेयर करना आसान हो जाएगा. वो अन्य बैंक के साथ कंपेयर कर सकेगा.

RBI गवर्नर ने कहा- 

लोन पर बैंक 'HIDDEN COSTS' चार्ज नहीं लगाते. लोन पर बैंकों के नियम बहुत पारदर्शी होते हैं. सभी रिटेल, MSME लोन के लिए आसान नियम पर फोकस करें.

बैंक चार्जेज की जानकारी टर्मशीट में होती है. सामान्य BORROWER (लोन लेने वाला) सभी नियमों को नहीं पढ़ पाता है. BORROWERS के लिए ब्याज की जानकारी आसान होगी

भारत का फाइनेंशियल सिस्टम मजबूत स्थिति में है.

लोन लेने से पहले कितने चार्जेस चुकाने होते है?

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कुछ चार्ज की रकम फिक्स होती है. जबकि अन्य चार्ज होम लोन रकम के प्रतिशत के रूप में चार्ज किये जाते हैं.

होम लोन देने के बाद अगर लोन लेने वाले को घर का कब्जा मिलने में देरी होती है और जब तक कि घर खरीदने वाले को घर का कब्जा नहीं मिल जाता है, तब तक बैंक प्री-EMI जैसा एक साधारण ब्याज लेता है. फिर इसके बाद EMI पेमेंट शुरू होता है.

लोन देने वाली कंपनी या बैंक प्रोसेसिंग फीस के माध्यम से क्रेडिट अंडरराइटिंग प्रक्रिया से संबंधित सभी लागतों की वसूली करता है. कंपनी या बैंक प्रोसेसिंग फीस के रूप में एक समान चार्ज लेते हैं.आमतौर पर कुल लोन रकम के 2% तक का वेरिएबल प्रोसेसिंग फीस लिया जाता है.

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