Haryana Assembly Session: हरियाणा विधानसभा में पंजाब का प्रस्ताव नामंजूर, एसवाईएल का मांगा पानी
हरियाणा सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। सदन की कार्यवाही दो घंटे तक चलेगी. सदन 11 बजे शुरू हुआ। सदन में सीएम मनोहर लाल ने शोक संदेश पढ़कर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष ने शोक संदेश पढ़ा और मातृ भूमि की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों को नमन किया। इसके बाद दो मिनट के लिए सदन में मौन धारण किया गया।
सीएम मनोहर लाल ने सरकारी संकल्प प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा कि सतलुज यमुना लिंक नहर के पानी पर हरियाणा का अधिकार संवैधानिक है। एसवाईएल नहर को जल्द पूरा करने के लिए 7 बार प्रस्ताव पारित किए थे। सभी ने पानी के दावों को बरकरार रखा है। पंजाब ने हरियाणा के दावे को नामंजूर करते हुए कई प्रस्ताव पारित किए। 1 अप्रैल 2022 को पंजाब विधानसभा में विधेयक पारित किए।
इसलिए सदन पंजाब के प्रस्ताव पर चिंता प्रकट करता है। ये हरियाणा के लोगों को स्वीकार्य नहीं है। चंडीगढ़ के दावे पर हरियाणा अपना अधिकार बरकरार रखेगा। पंजाब ऐसा कोई कदम न उठाए जिससे कि संतुलन बिगड़ जाए। सदन ने पहले भी अलग उच्च न्यायालय के लिए प्रस्ताव पारित किया है। सदन इस बात पर चिंता व्यक्त करता है कि चंडीगढ़ प्रशासन में हरियाणा से प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अधिकारियों की निुयक्ति कम होती जा रही है।
इसलिए केंद्र सरकार से आग्रह करता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना के लिए एसवाईएल पर पंजाब सरकार पर दबाव बनाए। हांसी बुटाना नहर की अनुमति दें। जजपा विधायक ईश्वर सिंह ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय पर पंजाब धक्केशाही कर रहा है। जो प्रस्ताव पंजाब सरकार ने पास किया वह असंवैधानिक है। पंजाब बड़ा भाई है, उसे ऐसा करना शोभा नहीं देता। मैं इसकी निंदा करता हूं। हरियाणा अपने अधिकारों से वंचित है।
नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पंजाब ने कोई मकसद नहीं है। यह राजनीतिक जुमले के लिए किया है। 1966 में हरियाण बना। शाह कमीशन ने मैजोरिटी से चंडीगढ़ हरियाणा को दिया। तीन विवाद है, पानी का, हिंदी भाषाई क्षेत्र, राजधानी का। 1960 में हिंदुस्तान- पाकिस्तान का फैसला लिया। तीन नदियां का पानी हिंदुस्तान इस्तेमाल करेगा। सतुलज पर पहले ही डैम बना था।
ब्यास का पानी इस्तेाल के लिए ब्यास सतलुज लिंक बनाया गया। रावी पर रणजीत सागर डैम बनाया गया है। हुड्डा ने कहा कि सतलुज के पानी के बंटवारे पर झगड़ा नहीं है। रावी और ब्यास के पानी पर झगड़ा है। बादल सरकार आई तो उसने एसवाईएल पाटने का काम किया। जमीन नोटिफाई कर दी। वर्ष 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि हरियाणा को पानी मिलना चाहिए।
वर्ष 2004 में सांसद था। इस मामले पर पीएम मिलें। 2016 में संविधान बैंच ने फैसला किया कि पंजाब ने जो फैसला लिया वह गलत है। पंजाब एलडर ब्रदर है तो कबूल है, परंतु वह बिग ब्रदर ना बनें। चंडीगढ़ यूटी है। पंजाब और हरियाणा का भाईचारा बना हुआ है। पंजाब में पेश किए गए प्रस्ताव के कोई मायने नहीं है। इस मुद्दे पर हमें इक्ट्ठा होना चाहिए।
1966 से चले आ रहे हैं मुद्दे
पंजाब और हरियाणा के बीच राजधानी और एसवाईएल का मुद्दा सालों पुराना है। यह विवाद 1966 से ही है, जब पंजाब- हरियाणा का अलग- गठन हुआ। 56 साल में पंजाब ने 7वीं बार इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया। 1967,1970,1978,1985,1986, 2014 में भी पंजाब ने प्रस्ताव पास किया, जबकि हरियाणा ने एसवाईएल पर 2000 से लेकर अब तक 5 बार प्रस्ताव पास किया।
सतलुज युमना लिंक नहर बनाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चला और कोर्ट ने पंजाब सरकार को नहर बनाने के आदेश भी जारी किए, परंतु पंजाब ने नहर बनाने की बजाए नहर पाट दी और विधानसभा में प्रस्ताव पास करके जमीनें किसानों को लौटा दी। सीएम मनोहर लाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान द्वारा विधानसभा में प्रस्ताव पास करने की निंदा कर चुके हैं और कह चुके हैं कि यह दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी है और रहेगी।