चौपाल नामा : भूमिगत जल खारा होने से गांव का नाम पड़ा खारी सुरेरां, जानिए क्या है इतिहास
Khari Sureran Village History, Sirsa : सिरसा शहर से लगभग 45 किलोमीटर और ऐलनाबाद उपमंडल से करीब 8 किलोमीटर दूर बसा हुआ. गांव खारी सुरेरां लगभग 250 साल पहले सुराराम झोरड़ के नाम पर स्थापित हुआ. रेलवे लाइन के दाएं और खारा पानी होने के कारण इस गांव का नाम खारी सुरेरां पड़ा. जबकि दूसरी और मिठी सुरेरां पड़ता है.
6500 एकड़ कृषि भूमि वाला यह गांव खेती और पशुपालन पर निर्भर है. इस गांव में गेहूं, नरमा, चावल, और किन्नू बागवानी समेत मुख्य फसलें उगाई जाती है. गांव में आठवीं तक सरकारी स्कूल और 12वीं तक अंग्रेजी माध्यम का आरोही मॉडल स्कूल है, जहां तकनीकी तरीके से पढ़ाई होती है. धार्मिक स्थलों में रामदेव मंदिर, ठाकुर जी मंदिर और गोगामेडी है. जहां साल भर धार्मिक आयोजन होते हैं. ग्रामीणों की गोगामेडी में गहरी आस्था है.
पानी की समस्या बरकरार
1986 तक गांव राजस्थान के श्योदानपुरा गांव से पानी के लिए निर्भर था. जलघर बनने के बाद हर घर में पानी की सप्लाई शुरू हुई. लेकिन गर्मियों में छोटी डिग्रियों के कारण टैंकरों से पानी मंगवाना पड़ता है. गांव की अधिकतर गलियां पक्की बनी हुई है और एक माइनर और जोहड़ भी है. परिवहन के लिए कोई स्थाई बस सुविधा नहीं है. लेकिन वर्ष 1971 में श्योपत सियाग की मेहनत से बने रेलवे होल्ड पर रोजाना 6 ट्रेनें रूकती है.
सुविधा और उपलब्धियां
गांव में जलघर, स्वास्थ्य केंद्र, ग्राम सचिवालय और अटल सेवा केंद्र जैसी सुविधाएं हैं. करीब 40 युवा सरकारी नौकरियों में है. हालांकि जरूरत के सामान के लिए ग्रामीण शहर पर निर्भर है.
चुनौतियों और उम्मीदें
पानी की कमी और स्थाई बस सुविधा का अभाव गांव की बड़ी चुनौतियां हैं फिर भी ग्रामीणों की मेहनत इस प्रगति की राह पर ले जा रही है.
पंचायत का लेखा-जोखा
जनसंख्या 5500
मतदाता 2700
जिला मुख्यालय से दूरी 45 किलोमीटर
प्रमुख उत्पादन गेहूं, नरमा, चावल, किन्नू
आय का मुख्य स्रोत कृषि एवं पशुपालन