Cotton: कॉटन के रेट में आई गिरावट, किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें

Cotton Mandi Bhav : पिछले दिनों से मार्केट में खल और बिनौला के भाव लगातार डाउन हो रहे हैं। जिसका गहरा असर नरमा और कपास (Narma Aur Kapas Ka Bhav) की कीमतों पर पड़ रहा है। जिस वजह से नरमा के भाव में गिरावट दर्ज की जा रही है। इलाके की मंडी में सोमवार को करीबन 18 हजार क्विंटल नरमा की आवक दर्ज की गई है।

 

Kapas Ka Bhav : राजस्थान के सूरतगढ़ के बाजार में बिनोला और खल के भाव में लगातार मंदी आ रही है। जिसका सीधा असर नरमा-कपास की कीमतों पर पड़ रहा है। इस वजह से नरमा के भाव में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। भाव में मंदी होने की वजह से किसान काफी चिंतित है। किसानों को फसल पकने तक बीमारी की चिंता लगी रहती है। और वही दूसरा फ़िक्र भाव का रहता है। इतनी मेहनत और खर्च करने के बावजूद अगर किसानों को फसल के अच्छे दाम ना मिले तो किसानों के चेहरे पर निराशा स्पष्ट है।

सूरतगढ़ मंडी में सोमवार को 18 हजार क्विंटल नरमा की आवक दर्ज की गई है। और मंडी में नरमा के भाव में गिरावट दर्ज की गई है। वर्तमान समय में नरमा का भाव कम होने से सीसीई ने पेनी नजर रखी हुई है।

नई धानमंडी में नवरात्रा पर नरमा की आवक शुरू हुई। प्रथम दिन 7412 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से विक्रय हुई। बीच में नरमा के भाव 7786 रुपए प्रति क्विंटल हो गए थे। वर्तमान में नरमा के भाव में लगातार गिरावट हो रही है। कम गुणवत्ता वाला नरमा 7202 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। नरमा के भाव बिनौला के भावों पर निर्भर रहते हैं। शुरुआत में बिनौला के भाव 4805 रुपए प्रति ​​क्विंटल रहे। वर्तमान में बिनौला के भाव घटकर 3701 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए। व्यापारियों का कहना है कि नई धानमंडी में नरमा के भाव लगातार कम हो रहे हैं। आगामी दिनों में नरमा के भाव 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल कम होने की आशंका है।

कॉटन फैक्ट्रियों के संचालन पर पड़ रहा असर

नरमा के भाव घटने से इसका सीधा असर कॉटन फैक्ट्रियों के संचालन पर भी पड़ रहा है। सूरतगढ़ में स्थानीय स्तर पर पांच तथा आसपास क्षेत्र की पांच कॉटन फैक्टियों का संचालन के लिए नरमा की खरीद नई धानमंडी से हो रही है। प्रत्येक फैक्ट्री को संचालन के लिए प्रतिदिन पांच सौ ​क्विंटल नरमा की आवश्यकता रहती है। लेकिन नई धानमंडी में प्रतिदिन करीब एक हजार से पन्द्रह सौ ​​क्विंटल ही नरमा की आवक हो रही है। ऐसे में फैक्ट्रियों के मालिकों के समक्ष प्रतिदिन कार्य करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।