सरसों की अगेती खेती: किसान इन किस्मों की करें बुवाई, 20 क्विंटल  प्रति हेक्टेयर तक मिल सकता है उत्पादन 

 

Mustard Farming: सरसों की अगेती खेती करके किसान अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं और उनकी खेत समय पर खाली हो जाएगी। इससे वे सब्जियों की खेती करके एक सीजन में दो की जगह तीन पैदावार हासिल कर सकते हैं।

इस साल अच्छी कीमतों के चलते किसान उत्साहित होकर अधिक रकबा में सरसों की खेती करने की योजना बना रहे हैं। देश के कुछ हिस्सों में सरसों की बुआई या तो कर चुके हैं या कर रहे हैं, लेकिन कुछ हिस्सों में लगातार बारिश होने के कारण सरसों की अगेती खेती में देरी हो रही है। अगर आप भी सरसों की अगेती करने जा रहे हैं तो हम आपको कुछ उन्नत किस्मों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे आप अधिक से अधिक पैदावार हासिल कर सकते हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विशेषज्ञ डॉ नवीन सिंह के अनुसार, सरसों की अगेती खेती करके किसान अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं और उनकी खेत समय पर खाली हो जाएगी। इससे वे सब्जियों की खेती करके एक सीजन में दो की जगह तीन पैदावार हासिल कर लेंगे। उन्होंने बताया कि कुछ ऐसी उन्नत किस्में विकसित हो चुकी हैं, जिनसे किसान एक हेक्टेयर में 20 क्विंटल तक पैदावार हासिल कर सकते हैं।

कृषि वैज्ञानिक डॉ नवीन सिंह कहते हैं कि किसान भाई कम समय में पककर तैयार हो जाने वाली भारतीय सरसों की अच्छी प्रजाति लगाकर मुनाफा कमा सकते हैं। पूसा ने कुछ किस्मों को विकसित किया है, जो जल्द पककर तैयार हो जाती हैं और उत्पादन भी अधिक मिलता है।

डॉ सिंह ने बताया कि पूसा अग्रणी किस्म 10 दिन में पक कर तैयार हो जाती है और एक हेक्टेयर में 13.5 क्विंटल पैदावार मिलती है। इसके अलावा, पूसा तारक और पूसा महक किस्मों की अगेती खेती हो सकती है। ये दोनों किस्में करीब 110-115 दिन के बीच पक जाती हैं और प्रति हेक्टेयर औसतन 15-20 क्विंटल पैदावार हासिल होती है।

इसके अलावा, पूसा सरसों- 25 नामक किस्म 100 दिन में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर में पूसा सरसों- 25 की बुवाई कर 14.5 क्विंटल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, एक और किस्म है, पूसा सरसों- 27. इसे पकने में 110-115 दिन का समय लगता है और प्रति हेक्टेयर 15.5 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है।

पूसा वैज्ञानिक के मुताबिक, सबसे नवीनतम किस्म पूसा सरसों- 28 है। यह 105-110 दिन में पक जाती है और 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार हासिल होती है। डॉ नवीन सिंह ने बताया कि इन सभी किस्मों की 15 सितंबर के आस-पास बुवाई की जा सकती है और जनवरी के पहले हफ्ते तक इनकी कटाई हो जाती है।

सरसों की अगेती खेती में एक फायदा यह भी होता है कि यह कीटों से बच जाती है। सरसों की फसल पर माहू या चेपा कीट का हमला हो सकता है, लेकिन अगेती फसल उससे पहले ही पककर तैयार हो जाती है, जिससे किसान नुकसान से बच सकते हैं।

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