Sarso: भारतीय कृषि विज्ञान परिषद ने पेश की सरसों की नई किस्म, मिलेगी 22 क्विंटल पैदावार

Mustard Best Seed : खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनने के लिए केंद्र सरकार ने 2024-25 रबी सीजन में सरसों का रकबा 100 लाख हेक्टेयर के पार पहुंचने की उम्मीद जताई है। इसके साथ ही किसानों के लिए कृषि विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों से फसल के नए एवं प्रमाणित बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने आगामी रबी सीजन में सरसों की बुवाई के लिए सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड जारी की है। यह किस्म रोगरोधी है जिस वजह से उत्पादन अधिक देने में सक्षम है। जानिए किस्म के बारें में ..

 

Mustard Pusa Double Zero Seed : रबी सीजन की फसलों की बुवाई के लिए तैयारियों में किसान जुटे हैं। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से जारी की गई सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो काफी विकसित है। इस किस्म को मार्च में बुवाई के लिए मंजूरी मिल गई थी, हालांकि रबी सीजन में सरसों की बुवाई करने वाले किसानों को इसका इस्तेमाल करने को कहा है। इस नई किस्म को सिंचित क्षेत्र की स्थिति में समय से बिजाई के लिए उपयुक्त बताया है।  

सरसों की बुवाई करने वाले किसानों के लिए भारतीय कृषि विज्ञान परिषद (ICAR) ने सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 (पीडीजेड 14) (Pusa Double Zero Mustard 35 (PDZ 14)) पेश की है। यह किस्म सफेद रतुआ समेत 4 रोगों से लड़ने में सक्षम होने के साथ ही पनपने नहीं देती है।  ICAR ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत 4 राज्यों के किसानों को इस उन्नत किस्म की बुवाई करने की सलाह दी है।

ICAR लाया सरसों की उत्तम किस्म 

भारतीय कृषि विज्ञान परिषद (ICAR) के IARI ने सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 (पीडीजेड 14) (Pusa Double Zero Mustard 35 (PDZ 14)) विकसित की है। इस किस्म को मार्च में बुवाई के लिए मंजूरी दी गई थी। अब रबी सीजन में सरसों की बुवाई करने वाले किसानों को इस उन्नत किस्म का इस्तेमाल करने को कहा गया है। यह किस्म सिंचाई सुविधाओं वाले इलाकों के लिए समय पर बुवाई के लिए उत्तम बताई गई है।

132 दिन में 22 क्विंटल उपज देने में सक्षम 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के किसानों को सरसों की उत्तम किस्म “पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35” (पीडीजेड 14) की बुवाई करने की सलाह दी गई है। आईएआरआई संस्थान नई दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, यह किस्म बिजाई के बाद केवल 132 दिन में तैयार हो जाती है। कई रोगों को पनपने नहीं देने की क्षमता के कारण किसान इस फसल की बुवाई से प्रति हेक्टेयर 21.48 क्विंटल से अधिक की उपज प्राप्त कर सकते हैं। 

इन 4 रोगों को पनपने नहीं देती है ये किस्म 

भारतीय कृषि विज्ञान परिषद के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 (पीडीजेड 14) किस्म सरसों फसल के लिए घातक 4 रोगों को पनपने नहीं देती है। सरसों की यह उत्तम किस्म सफेद रतुआ रोग यानी व्हाइट रस्ट, अल्टरनेरिया ब्लाइट यानी फफूंदी रोग, स्केलेरोटिनिया स्टेम रॉट यानी फफूंदी रोग, डाउनी फफूंद और पाउडरी फफूंद रोग से लड़ने में सक्षम है और इन रोगों को पनपने नहीं देती है। इससे किसानों को इन रोगों की रोकथाम के लिए कीटनाशकों, दवाओं पर खर्च नहीं करना पड़ता है। इसके अलावा उपज भी ज्यादा होती है।  

खेती रकबा 100 लाख हेक्टेयर के पार पहुंचने की उम्मीद 

भारत सरकार ने खाद्य तेल के लिए 2024-25 में सरसों का रकबा 100 लाख हेक्टेयर के पार ले जाने की उम्मीद जताई है। ऐसा सरसों की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में 200 रुपए की बढ़त को देखते हुए कहा गया है। केंद्र ने 2024-25 में सरसों पर एमएसपी 5650 रुपए प्रति क्विंटल घोषित की गई है। इससे पहले 2022-23 में सरसों का बुवाई क्षेत्रफल रकबा 98.02 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था, जो 6.77 लाख हेक्टेयर अधिक था। 2021-22 में सरसों का क्षेत्रफल 91.25 लाख हेक्टेयर था।