घाटे का बिज़नेस बनी सोयाबीन की फसल, MSP से नीचे भाव गिरने से किसान परेशान

Soyabean MSP : मध्य प्रदेश राज्य में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष सोयाबीन की खेती में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ तहसील में सोयाबीन फसल की हालत बहुत खराब है। दरअसल, सोयाबीन की फसल में इल्लियों और पीले मोजैक के के आने से यहां के किसान बड़ी मुश्किल में आ गए हैं, जिसकी वजह से किसानों को अपनी फसल कम दामों पर बेचनी पड़ रही है।
 

Madhya Pradesh : देश में मध्य प्रदेश राज्य सोयाबीन के उत्पादन में पहले स्थान पर आता है। इसे "सोया प्रदेश" भी कहते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष सोयाबीन की खेती में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ तहसील में सोयाबीन फसल की हालत बहुत खराब है। दरअसल, सोयाबीन की फसल में इल्लियों और पीले मोजैक के के आने से यहां के किसान बड़ी मुश्किल में आ गए हैं, जिसकी वजह से किसानों को अपनी फसल कम दामों पर बेचनी पड़ रही है। इस सीजन मल्हारगढ़ गाँव में बरसात कम होने के कारण किसानों की परेशानी और ज्यादा बढ़ गई है।

तीन किसानों ने किया, अपनी खड़ी फसल को नष्ट

एक रिपोर्ट के अनुसार जिले में तीन किसानों ने अपनी खड़ी फसल को नष्ट कर दिया है। पिछले हफ्ते एक किसान ने अपनी सोयाबीन की फसल, जोकि सात एकड़ से ज्यादातर को ट्रैक्टर के माध्यम से नष्ट कर दिया था। जब किसान अपनी पुरानी फसल को बेचने के लिए मंडी गया तो उसे उसका पूरा दम नहीं मिल पाया था। जिसके चलते किसान ने अपने खेत में खड़ी फसल को भी नष्ट कर दिया। इसका वीडियो कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने शेयर करते हुए राज्य सरकार को समर्थन मूल्य पर घेरा था। भाजपा ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी थी।

सोयाबीन का होना चाहिए, 8 हजार समर्थन मूल्य

यहां के किसान भरत सोलंकी और नाथूलाल पाटीदार ने बताया कि इस बार खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। किसानों की फसलें बहुत बार कीटों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हो रही हैं। किसानों ने सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बताया कि इस वर्ष सोयाबीन का क्षेत्रफल 125.11 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार को सोयाबीन का 8 हजार रुपये का समर्थन मूल्य निश्चित करना चाहिए।

सोयाबीन के भाव हुए, 15 प्रतिशत कम

कांग्रेस नेताओं ने भाजपा सरकार को 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा पूरा नहीं करने पर घेर लिया और कहा कि महंगाई चार गुना बढ़ी है। इससे गरीब, मजदूर और मध्यवर्ग प्रभावित हो रहे हैं। सोयाबीन की कीमत इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम हो गई है। इस बार सोयाबीन की कीमत 15 प्रतिशत कम है। कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार से सोयाबीन की फसल के संकट को दूर करने और किसानों को राहत देने के लिए तुरंत कार्रवाई की मांग की है।