किसानों को खेत में देगी तगड़ी पैदावार, 125 दिन में पककर तैयार होगी गेहूं के ये किस्म
Wheat New Variety : लवणीय और क्षारीय जमीन पर कम उत्पादन से परेशान किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक नई प्रजाति का गेहूं बनाया है। यह ज्यादा उत्पादन देगा और कीटों और रोगों से बचेगा। नई प्रजाति का नाम K-2010 दिया गया है। यह लखनऊ, अलीगढ़, आगरा, प्रयागराज और कानपुर क्षेत्र के कृषकों के लिए फायदेमंद होगा। अगले वर्ष किसानों को इसके बीज मिलने लगेंगे। 4.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती करने वाले किसानों को इससे बढ़िया लाभ मिलेगा। यह प्रजाति 125 दिन में पक जाती है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CSA) के वैज्ञानिक खेती में होने वाले नुकसान को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। टीम ने बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों को ऊसर भूमि के लिए गेहूं की दो अच्छी प्रजाति के-1616 और के-1006 दी। विद्यापीठ के बीज एवं प्रक्षेत्र निदेशक डॉ. विजय कुमार यादव ने बताया कि लगभग आठ वर्ष की शोध के बाद गेहूं की यह प्रजाति ऊसर भूमि के लिए विकसित की गई है। के-2010 को केंद्र और यूपी सरकार ने भी मान्यता दी है। अगले वर्ष के लिए वैज्ञानिकों द्वारा बीज बनाया जाएगा।
ज्यादा तापमान में सुरक्षित रहेंगे, दाने
डॉ. विजय यादव ने बताया कि अधिक तापमान से ऊसर भूमि को सबसे अधिक नुकसान होता है। वर्तमान में उपलब्ध कई प्रजातियां दाने को अधिक तापमान सिकुड़ देता हैं और फसल को बहुत नुकसान पहुंचता है। के-2010 के दाने सुडौल रहते हैं, हालांकि वे अधिक तापमान पर भी सिकुड़ते नहीं हैं।
9.75% अधिक हुआ, उत्पादन
डॉ. विजय ने बताया कि के-2010 में चेक प्रजाति से 9.75% अधिक उत्पादन हुआ है। इस वैरायटी का चेक केआरएल-283 के साथ किया गया था। यह प्रजाति 125 दिन में पक जाती है।
अगले वर्ष मिलेंगे, इस प्रजाति के बीज
सीएसए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह ने कहा कि सीएसए के वैज्ञानिकों ने नई प्रजाति का गेहूं बनाया जो क्षारीय और लवणीय स्थानों के लिए सबसे अच्छा है। यह अच्छा उत्पादन देगा और किसानों को कीटों और रोगों से बचाएगा। अगले वर्ष इस प्रजाति के बीज मिलने लगेंगे।