धान की रोपाई के कुछ समय अंतराल करें इस दवा का इस्तेमाल, खरपतवार ढूंढने पर भी नहीं मिलेंगे
धान की फसल में खरपतवार एक गंभीर समस्या के रूप में उभरते हैं. ये अवांछित पौधे फसल से पोषक तत्वों, पानी और सूर्य के प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे धान की वृद्धि और उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. खरपतवार धान के पौधों को कमजोर कर उनकी विकास क्षमता को बाधित करते हैं, जिससे उत्पादन में कमी हो सकती है।
कृषि विशेषज्ञ ने दी, जानकारी
नियामतपुर कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि धान के खेतों में अक्सर चौड़ी और संकरी पत्ती वाले खरपतवार उग आते हैं, जो फसल की ग्रोथ पर असर डालते हैं और धान के वजन कों भी घटा देते हैं। इन खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों और श्रमिकों पर अधिक खर्च होता है। जिससे खेती की लागत में वृद्धि होती है। इसलिए समय पर इन पर नियंत्रण करना बेहद जरुरी है। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि धान की रोपाई के दौरान खरपतवार नाशक दवा का इस्तेमाल किया जाता है।
इस समय करें, दवा का इस्तेमाल
धान की रोपाई के 24 से 72 घंटे के मध्य इन दवाओं का छिड़काव करना होता है, ताकि खरपतवार न उग सकें। लेकिन चौड़ी और संकरी पत्ती वाले खरपतवार खेत में उग सकते हैं। डॉ. त्रिपाठी ने सुझाव देते हुए बताया कि चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को खत्म करने के लिए 15 से 20 दिनों बाद, जब खरपतवार दो से तीन पत्तियों का हो, खरपतवार को खत्म करने की दवा का छिड़काव करना चाहिए।
इस दवा का करें, उपयोग
1 एकड़ में 100 लीटर पानी में 10% मेटसल्फ्यूरान मिथाइल और 10% क्लोरीमुरान मिथाइल का मिश्रण घोलकर स्प्रे करें। छिड़काव के दौरान खेत में पानी नहीं होना चाहिए, लेकिन मिट्टी में नमी का होना जरुरी है। फ़सल में दवा छिड़कने के 24 घंटे बाद धान में पानी पूरा करें। जिसके बाद खरपतवार एक हफ्ते के अंदर ख़त्म हो जाएंगे।
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि किसान खरपतवारों को रासायनिक तरीकों और पारंपरिक तरीकों से भी नियंत्रित किया जा सकता है। जिसके अंतर्गत, धान के खेतों में निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को बाहर निकाला जा सकता है, जिससे मिट्टी में हवा का संचार और पौधों की वृद्धि अच्छे से हो पाती है।