Kheti Kissani: किसान करें इस सब्जी की खेती,  60 दिन में कर देगी मालामाल

Barabanki Lauki ki kheti : यूपी के बाराबंकी के किसान राजकुमार पारंपरिक खेती के साथ ही लौकी की खेती करते हैं।  किसान ने बताया कि वह ताइवान किस्म की लौकी की खेती कर सालाना लाखों रुपए कमाते हैं।  जहां एक बीघे में 15 हजार रुपए की लागत आती है।

 

Lauki ki kheti : पहले के समय मे किसान धान, गेहूं और मोटे अनाजों की पैदावार को अपनी आय का एक मात्र जरिया मानते थे।  वहीं, वर्तमान समय में किसानों ने इस सोच से आगे बढक़र सब्जियों की सीजनल फसलों की खेती कर लाखों रुपए की कमाई भी कर रहे हैं।  किसान लौकी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।  लौकी सामान्य तौर पर 2 आकार की होती है।  पहली गोल और दूसरी लंबी होती है। 

इस किस्म की लौकी में है तगड़ी कमाई

जिले के इस किसान ने बताया कि ताइवान किस्म की लौकी की खेती कर उन्हें लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा हो रहा है।  जिसके लिए वह कई सालों से लौकी की खेती करके लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं।  जनपद बाराबंकी के बड़ेल गांव के रहने वाले किसान राजकुमार पारंपरिक खेती के साथ सब्जियों की खेती करते हैं, जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है।  आज वह करीब 3 बीघे में ताइवानी लौकी की खेती कर रहे हैं।  इस खेती से लगभग उन्हें एक से डेढ़ लाख रुपए मुनाफा एक फसल पर हो रहा है। 

एक बीघे में आती है 15 हजार की लागत

लौकी की खेती करने वाले किसान राजकुमार ने लोकल 18 से बातचीत में बताया वैसे तो वह ज्यादातर धान ,गेहूं आदि की खेती करता थे।   जहां 2-3 सालों से सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिसमे लौकी इस समय उनके पास 3 बीघे में लगी हुई है।  इसमें करीब एक बीघे में 10 से 15 हजार रुपए की लागत आती है।  क्योकि इसमें बीज, डोरी, बांस कीटनाशक दवाइयां पानी लेबर आदि का खर्च लगता है। 

वहीं, मुनाफा करीब एक फसल पर एक से डेढ़ लाख रुपए तक हो जाता है।  इसकी खेती वह स्टेचर पर करते हैं।  इससे सब्जियो की पैदावार अच्छी होती हैं।  साथ ही रोग कम लगता है।  इस लौकी की डिमांड अन्य के मुकाबले ज्यादा रहती है। 

इस विधि से करना है बहुत ही आसान

किसान ने बताया कि इसकी खेती करना बहुत ही आसान है।  पहले खेत की जुताई की जाती है।  उसके बाद पूरे खेत में मेड बनाया जाता है।  इस पर मल्चिंग कर 2 से 3 फिट की दूरी पर लौकी के बीज की बुआई की जाती है।  जब पेड़ थोड़ा बड़ा होने लगता है।  तब पूरे खेत में बांस और तार का स्टेचर तैयार करते हैं।  फिर लौकी के पौधे को डोरी से स्टेचर से बांध दिया जाता है, जिससे लौकी का पौधा स्टेचर पर फैल जाता है।  वही पौधा लगाने के महज दो महीने में फसल तैयार हो जाती है।