Milky Mushroom High Income: इस तरह करें मशरूम की खेती, आधे खर्चे में 5 लाख की कमाई
वृक्ष पालन: कृषि को एक लाभदायक व्यवसाय बनाने के लिए किसानों ने फसल विविधिकरण पर काम किया है। फसल विविधिकरण एक खेत में कई अलग-अलग तरह की फसलें लगाने का एक तरीका है। ऐसा करने से किसानों को कम जगह में अधिक पैसा कमाने का अवसर मिलता है। मशरूम भी एक ऐसी फसल है जो कम जगह में एक शेड़ में उगाई जा सकती है। भारत के कई राज्यों में खेती और पशुपालन के अलावा किसान मशरूम भी उगाते हैं। मशरूम किसान किसी भी मौसम में लगा सकते हैं।
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मुनाफेदार प्रकार
मशरूम की किस्मों को चुनें जो जल्दी लाभ दें। पास के बाजार में मांग के हिसाब से मशरूम भी बना सकते हैं। वैसे, दुनिया भर में खेती योग्य मशरूम की 70 किस्में हैं। लेकिन भारत में पैडीस्ट्रा मशरुम, दूधिया मशरुम, ढींगरी (ऑयस्टर) मशरुम, सफेद बटन मशरुम और शिटाके मशरुम की किस्में भी उगाई जा रही हैं।
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कृषि में नवीनतम प्रौद्योगिकी
मशरूम की खेती का सबसे बड़ा लाभ है कि इसके लिये मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती। प्लास्टिक के बड़े-बड़े बैगों, कंपोस्ट खाद, गेहूं और धान का भूसा इसके लिए पर्याप्त हैं। सबसे पहले, एक छोटी सी जगह पर शेड़ लगाकर लकड़ी और जाल से उसे कवर करें।
प्लास्टिक बैगों में कंपोस्ट की खाद और गेहूं का भूसा मिलाकर भरें।
मशरूम का बीज कंपोस्ट से भरे बैगों में डालें और छोटे छेद कर दें, ताकि मशरूम उगने के साथ ही बाहर निकल जाए।
खाद और बीज से भरे इन बैगों को या तो जालीनुमा अलमारी में रख दें या लटका दें।
बैग में बीज डालने के 15 दिन बाद शेड़ को हवा न मिलने दें।
बुवाई के पंद्रह दिन बाद शेड़ में पखें लगाकर हवा बहने दें।
मशरूम को 30 से 40 दिनों में पकने दें।