सरसों की फसल पर पत्ती खाने वाली इल्ली रोग का हमला, बचाव के किसान अपनाए कृषि वैज्ञानिकों के कारगर उपाय
Sarso ki fasal me illi rog: रबी सीजन के दौरान बोई गई सरसों की फसल इस समय तेजी से बढ़वार की अवस्था में है, लेकिन इसी के साथ किसानों के सामने कीट प्रकोप की एक गंभीर चुनौती भी उभर कर सामने आई है।
The Chopal: रबी सीजन के दौरान बोई गई सरसों की फसल इस समय तेजी से बढ़वार की अवस्था में है, लेकिन इसी के साथ किसानों के सामने कीट प्रकोप की एक गंभीर चुनौती भी उभर कर सामने आई है। राज्य के कई जिलों, खासकर हजारीबाग में सरसों की फसल पर पत्ती खाने वाली इल्ली का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। यदि समय रहते इस कीट पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो इसका सीधा असर पैदावार और तेल प्रतिशत पर पड़ सकता है।
फसल की बढ़वार के साथ बढ़ा खतरा
अक्टूबर और नवंबर माह में बोई गई सरसों की फसल इस समय खेतों में अच्छी तरह विकसित हो रही है। पौधों पर नई पत्तियां निकल रही हैं, लेकिन इन्हीं कोमल पत्तियों पर पत्ती खाने वाली इल्ली तेजी से हमला कर रही है। शुरुआत में यह कीट पत्तियों में छोटे-छोटे छेद बनाता है, लेकिन संख्या बढ़ने पर पूरी पत्ती को नष्ट कर देता है। इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और आगे चलकर फूल और दाने बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि किसान अक्सर शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिसका खामियाजा उन्हें बाद में कम उत्पादन के रूप में भुगतना पड़ता है।
ठंड और नमी में तेजी से बढ़ता है प्रकोप
हजारीबाग स्थित आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार सिंह के अनुसार, पत्ती खाने वाली इल्ली का प्रकोप आमतौर पर ठंड की शुरुआत में बढ़ जाता है, खासकर जब खेतों में नमी बनी रहती है। उन्होंने कहा कि यह कीट बहुत तेजी से फैलता है, इसलिए किसानों को नियमित रूप से अपने खेतों की निगरानी करनी चाहिए। डॉ. सिंह ने बताया, “यदि किसान समय पर लक्षण पहचान लें, तो बिना ज्यादा खर्च किए इस कीट पर प्रभावी नियंत्रण संभव है।”
नियमित निरीक्षण सबसे जरूरी
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, बचाव का पहला और सबसे जरूरी कदम है नियमित खेत निरीक्षण। किसानों को सप्ताह में कम से कम दो बार खेत में जाकर पत्तियों की जांच करनी चाहिए। यदि पत्तियों पर छेद, जाल या इल्ली दिखाई दे, तो तुरंत उपाय करना चाहिए। छोटे खेतों में शुरुआती अवस्था में हाथ से इल्ली चुनकर नष्ट करना भी काफी प्रभावी तरीका माना जाता है।
फेरोमोन ट्रैप से टूटेगा प्रजनन चक्र
डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि पत्ती खाने वाली इल्ली के नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप एक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल तरीका है। प्रति एकड़ 4 से 5 फेरोमोन ट्रैप लगाने से नर कीट आकर्षित होते हैं, जिससे उनका प्रजनन चक्र बाधित होता है। इससे धीरे-धीरे इल्लियों की संख्या कम होने लगती है और फसल सुरक्षित रहती है।
नीम तेल का छिड़काव भी कारगर
उन्होंने बताया कि जैविक तरीके से नियंत्रण के लिए नीम तेल का प्रयोग भी काफी लाभदायक है। प्रति एकड़ 1500 से 2000 मिली नीम तेल को लगभग 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से इल्ली पर अच्छा नियंत्रण पाया जा सकता है। नीम का घोल न केवल कीट को कमजोर करता है, बल्कि उसकी भूख भी कम कर देता है, जिससे पत्तियों को होने वाला नुकसान रुक जाता है।
संतुलित खाद से बढ़ेगी फसल की ताकत
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को खाद के संतुलित प्रयोग की भी सलाह दी है। डॉ. सिंह के अनुसार, अत्यधिक नाइट्रोजन देने से पौधे ज्यादा कोमल हो जाते हैं, जो इल्लियों को आकर्षित करते हैं। इसलिए किसानों को संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए और सल्फर का उपयोग अवश्य करना चाहिए। इससे पौधे मजबूत बनते हैं और कीट प्रकोप की संभावना कम होती है।
अधिक प्रकोप पर विशेषज्ञ की सलाह जरूरी
यदि खेत में इल्ली का प्रकोप अधिक हो जाए और जैविक उपायों से नियंत्रण न हो, तो किसानों को कृषि विशेषज्ञ की सलाह से ही अनुशंसित कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए। सही समय और सही मात्रा में दवा का छिड़काव करने से फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है। कृषि विभाग का कहना है कि समय पर सही उपाय अपनाने से सरसों की फसल को पत्ती खाने वाली इल्ली से बचाया जा सकता है और किसान बेहतर उत्पादन के साथ अधिक लाभ कमा सकते हैं।