Mustard Farming: सरसों की 5 किस्म किसानों को कर देती है मालामाल, मिलेगी बड़ी पैदावार
Sarson Best 5 Variety : सरसों की खेती करने के लिए अक्टूबर और नवंबर महीना सबसे अच्छा है। ऐसे में सरसों की खेती करने वाले किसान रबी में एक प्रमुख तिलहन फसल सरसों है। इसका देश की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। क्योंकि सरसों की खेती बहुत लोकप्रिय और लाभदायक है क्योंकि इस फसल को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं है।
कम लागत में सरसों की खेती करना आसान है। इसके अलावा, अगेती सरसों की खेती रबी सीजन में शुरू हो जाती है। अक्टूबर की शुरुआत से दूसरे पखवाड़े तक अगेती सरसों की बुआई की जाती है। यही कारण है कि किसान भाई सरसों की पांच लोकप्रिय प्रजातियों में से किसी एक को अपनाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं।
सरसों की पांच उन्नत किस्में
आरएच 725 किस्म (RH 725 variety) : ये सरसों की किस्म 136 से 143 दिनों में पक जाती है। इसकी फलियां लंबी होती हैं और उनमें 17 से 18 दान होते हैं।
पूसा बोल्ड किस्म (Pusa Bold Variety) : ये किस्म राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र में ज्यादा उगाई जाती है। इसकी फसल करीब 150 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 18 से 20 क्विंटल होता है।
राज विजय सरसों-2 (Raj Vijay Mustard-2) : ये सरसों की किस्म मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उपयोगी है। 120-130 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। रिपोर्टों के अनुसार, इस किस्म की अक्टूबर में बुवाई करने पर 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर होती है।
आर एच 30 किस्म (RH30 variety) : ये सरसों की प्रजातियां हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी राजस्थान में सबसे उपयोगी हैं। ये प्रजाति दोनों सिंचित और असिंचित क्षेत्रों में काफी लाभदायक है। इस किस्म को पकने में 130 से 135 दिन लगते हैं। 15 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक इस किस्म की बुवाई कर दी जाए तो उपज प्रति हेक्टेयर 16 से 20 क्विंटल हो सकती है। इसमें लगभग 39 प्रतिशत तेल होता है।
आरएच-761 किस्म (RH-761 variety) : इस प्रकार के सरसों को बहुत अधिक सिंचाई नहीं चाहिए। ये भी पाले के प्रति सहनशील हैं। इस किस्म का उत्पादन 25 से 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। 45 से 55 दिन में फूल आते हैं। फसल को तैयार करने में 136 से 145 दिन लगते हैं।