Mustard Farming: सरसों की ये वैरायटी कम समय में देगी बंपर पैदावार, खेती बनेगी वरदान
Mustard Cultivation: सरसों की खेती में अधिक पैदावार लेने के इच्छुक किसान भाइयों के लिए खुशखबरी है। अक्टूबर से नवंबर का समय सरसों की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस लेख में हम आपको कुछ ऐसी बढ़िया सरसों की किस्मों से परिचित करवाएंगे, जिन्हें अपनाकर किसान बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
Mustard Farming: सरसों की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है। इस दौरान किसान विशेष किस्मों का चुनाव कर सकते हैं, जिससे उनकी फसल की गुणवत्ता बेहतर हो और उत्पादन अधिक हो। अच्छी किस्मों के चयन से न केवल पैदावार बढ़ती है, बल्कि बाजार में बेहतर दाम भी मिलते हैं, जिससे किसानों का मुनाफा काफी हद तक बढ़ जाता है। सरसों की सही किस्म का चयन और समय पर बुवाई किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली फसल दिलाने में मदद करती है। इस प्रकार किसान अपनी मेहनत और संसाधनों का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
मिट्टी की जांच कर सही उर्वरक का इस्तेमाल
इसके अलावा, खेत की तैयारी और समय पर बीज बुआई भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि किसान मिट्टी की जांच कर सही उर्वरक का इस्तेमाल करें और सिंचाई का उचित प्रबंध करें, तो सरसों की फसल स्वस्थ और मजबूती से बढ़ती है। इस तरह, सही समय, अच्छी किस्म और व्यवस्थित देखभाल से किसान सरसों की खेती से अधिक लाभ कमा सकते हैं।
अगर किसान भाई सरसों की खेती (Sarso Kheti Tips) करना चाहते हैं, तो आज हम आपको सरसों की कुछ खास किस्मों के बारे में बताएंगे, जिनको लगाकर अच्छा उत्पादन और बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है। एक्सपर्ट के अनुसार, इन किस्मों को अपनाकर किसान अपनी फसल की पैदावार और गुणवत्ता दोनों बढ़ा सकते हैं।
मध्य प्रदेश के छतरपुर नौगांव कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ डॉक्टर कमलेश अहिरवार बताते हैं कि रबी सीजन की बोवनी का समय अब शुरू हो गया है। इस समय किसान भाई असिंचित (बारिश पर निर्भर) सरसों की खेती कर सकते हैं। सही किस्म और समय पर बोवाई से न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि बाजार में अच्छी कीमत मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।
असिंचित सरसों की खेती किसी वरदान से कम नहीं
जिन किसान भाइयों के पास सिंचाई की सुविधा नहीं है, उनके लिए असिंचित सरसों की खेती किसी वरदान से कम नहीं है। इस फसल की बोवनी किसान भाई अक्टूबर माह में शुरू कर सकते हैं, जबकि 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक भी इसे बोया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सरसों की फसल के लिए दोमट या बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकास अच्छी तरह से हो। वहीं, अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी में सरसों की पैदावार कम हो सकती है, इसलिए ऐसे खेतों में बोवाई करने से पहले मिट्टी की जाँच कर लेना जरूरी है।
सरसों की खेती के लिए कदम
फसलों की कटाई के बाद खेत को तैयार करने के लिए 2 से 3 बार कल्टीवेटर से जुताई करें और पाटा लगाकर मिट्टी में नमी संचित करें। यह ध्यान रखें कि खेत में ढेले न बने। सरसों की बुवाई के लिए आवश्यक बीज की मात्रा भी महत्वपूर्ण है। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगभग 5 से 6 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। सही मात्रा में बीज का उपयोग फसल की बेहतर पैदावार और मुनाफे के लिए जरूरी है।
सरसों की बुवाई और उपयुक्त किस्में
एक्सपर्ट के मुताबिक, सरसों की बुवाई देसी हल, सरिता या सीड ड्रिल की मदद से कतार में करना चाहिए। कतार से कतार की दूरी लगभग 40 सेंटीमीटर और पौध से पौध की दूरी 10 से 12 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। बीज को 2 से 3 सेंटीमीटर गहराई पर बोना उत्तम रहता है।
डॉ. कमलेश अहिरवार के अनुसार, किसान भाई निम्नलिखित किस्मों को अपनाकर अच्छी पैदावार और मुनाफा कमा सकते हैं:
जवाहर सरसों-3
राज विजय सरसों-2
पूसा जय किसान
गिरिराज
आरएच-725
आरएच-749
इन किस्मों की बुवाई रबी सीजन में करने से उच्च गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त की जा सकती है।