Termite Problem: देसी फार्मूला दिलाएगा फसलों में दीमक से छुटकारा, बढ़ेगी किसानों की उपज
Rajasthan News : मानसूनी बरसात किसानों के लिए वरदान भी है और चुनौती भी। इस सीजन में किसानों को अपनी फसलों को रोग मुक्त करने के लिए ज्यादा निगरानी और समय पर समाधान करना पड़ता है. मिट्टी के अंदर छिपकर फसलों की जड़ों को खा जाती है, जिससे पौधे धीरे-धीरे मुरझा जाते हैं और उपज पर सीधा असर पड़ता है।
Termite problem in chickpea : मानसूनी बरसात का सिलसिला देश में अभी सभी राज्यों में चल रहा है. मानसूनी बरसात का सीजन जहां किसानों के लिए लाभदायक होता है उसके अलावा चुनौती पूर्ण भी साबित होता है. इस सीजन में किसानों को अपनी फसलों को रोग मुक्त करने के लिए ज्यादा निगरानी और समय पर समाधान करना पड़ता है. इस समय किसानों की फसलों को दीमक की समस्या ज्यादा नुकसान पहुंचती है.
रासायनिक उपायों से बचे
दीमक मिट्टी के अंदर छिपकर फसलों की जड़ों को खा जाती है, जिससे पौधे धीरे-धीरे मुरझा जाते हैं और उपज पर सीधा असर पड़ता है। दीमक फसलों की जड़ को नुकसान पहुंचाती है, जिसके परिणामस्वरूप उपज कम होती है। इससे बचाव के लिए देसी और जैविक उपायों का उपयोग रासायनिक उपायों की जगह कर सकता है। नीम का तेल, राख, हल्दी और गोमूत्र जैसे प्राकृतिक उपायों से दीमक को कम करके फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।
किसानों को बरसात के बाद का समय उतना ही राहत देता है। इसी मौसम में एक बड़ी समस्या भी सामने आती है। यह दीमक लगने वाला कीट मिट्टी में रहकर फसलों की जड़ों को चुपचाप नुकसान पहुंचाता है। यह समस्या शुरुआत में नहीं दिखाई देती, लेकिन फसल धीरे-धीरे मुरझाने लगती है। अंत में पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। किसानों की मेहनत और उनकी आर्थिक स्थिति इससे सीधे प्रभावित होती हैं।
जमीन की उर्वरता भी बनी रहे
भरतपुर क्षेत्र में किसानों ने अधिकतर दीमक का प्रभाव अपने खेतों में देखा है। इस समस्या को रोकने के लिए अब रासायनिक दवाओं की जगह देसी और प्राकृतिक उपायों पर ध्यान देना चाहिए। अपने खेतों में पांच से आठ अलग-अलग स्थानों पर छोटे-छोटे गड्ढे बनाएं और उनमें गोबर की खाद या गोबर के उपले रखें, ताकि फसल सुरक्षित रहे और जमीन की उर्वरता भी बनी रहे।
यह प्रक्रिया पूरी तरह से प्राकृतिक
गोबर की गंध इतनी आकर्षित करती है कि वह इन गड्ढों की ओर और फसलों की जड़ों से दूर रहती है। यह उपाय पारंपरिक है और सरल है। यह भी एक प्रभावी उपाय है। जब मक्का की भुट्टियों को एक मटके में डालकर खेत के किनारे जमीन में गाड़ दें, तो मक्का की गंध दीमक को आकर्षित करती है। जिससे दीमक फसल से दूर चली जाती है और उस ओर चली जाती है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से प्राकृतिक है। ऐसा करने से खेत में रसायनों का उपयोग नहीं होता।
कृषि विभाग के अधिकारी भी किसानों से यही कहते हैं। वे देसी और जैविक उपायों को अपनाएं क्योंकि वे सस्ता हैं और पर्यावरण के अनुकूल हैं। रसायन जो मिट्टी की गुणवत्ता को खराब करते हैं वहीं, ये पारंपरिक उपाय दीमक से भी बचाते हैं। बल्कि खेत की जैविक उर्वरता भी बनाए रखती हैं। थोड़ी सी जागरूकता और देसी ज्ञान से किसान दीमक से बचकर अच्छी उपज पा सकते हैं।