सब्जी की खेती करने वाले किसान अपनाएं ये टिप्स, कोहरा और पाला से फसल का होगा बचाव

Agriclture News : खेती-बाड़ी में किसानों के सामने समय-समय पर नई-नई दिक्कतें आती रहती हैं। खासकर किसानों के सामने पानी की कमी सबसे बड़ी समस्या है। लेकिन अब खेती की एक ऐसी विधि प्रचलन में है, जो कम पानी में बढ़िया उत्पादन दे रही हैं।

 

Method Of Farming : खेती-बाड़ी में किसानों के सामने समय-समय पर नई-नई दिक्कतें आती रहती हैं। खासकर किसानों के सामने पानी की कमी सबसे बड़ी समस्या है। लेकिन अब खेती की एक ऐसी विधि प्रचलन में है, जो कम पानी में बढ़िया उत्पादन दे रही हैं। हालांकि, जानकारी के अभाव में ये विधि कुछ ही किसानों तक सीमित रह गई है। व्यापक रूप से इसका किसान इसका इस्तेमाल करें तो सब्जियों की खेती में बंपर कमाई कर सकते हैं। 

इस विषय पर हजारीबाग के तरबा खरवा स्थित आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि इस विधि का नाम मल्चिंग है। कम पानी वाले किसानों के लिए यह विधि वरदान से कम नहीं है। खासकर हजारीबाग के लिए या बेहद कारगर है। उन्होंने बताया कि यहां पर अधिकांश रेतीली दोमट और लाल दोमट मिट्टी है। साथ ही टेंपरेचर काफी ऊपर नीचे रहता है। इन सब परिस्थिति में यह विधि काफी कारगर है।

उन्होंने आगे बताया कि भारत में कई प्रकार की मल्चिंग विधि का उपयोग होता है। इसमें पुआल, खरपतवार, पाली मल्चिंग, राख आदि से भी मल्चिंग की जाती है। मल्चिंग विधि का उपयोग करके किसान अपने खेतों के पोषक तत्व को बरकरार रख सकते हैं। गर्मियों के महीने में खेत में नमी बनाए रखने के लिए भी मल्चिंग बेहद कारगर है। वहीं, सर्दियों के मौसम में खेती को पाला लगने से भी बचाती है।

मल्चिंग बिछाए होने पर फसलों की जड़ों में कीट नहीं फैलते हैं। साथ ही इसमें सबसे अधिक फायदा खरपतवार के मामले में होता है। मल्चिंग लगी फसलों में खरपतवार की समस्या नहीं होती है। एक बार पॉली मल्चिंग बिछाकर किसान कई फसलों में उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।