Rajasthan: सरसों के भूसे के रेट हुए डबल, किसानों को मिल रहा बड़ा मुनाफा

कोयले के भाव बढ़ने के कारण देश के कई प्लांट में सरसों के बने ब्लॉक का इस्तेमाल बढ़ गया है. जिससे सरसों के भूसे के रेट दुगने हो गए.
 

झालावाड़ : राजस्थान में अब धीरे-धीरे पारंपरिक ईंधन की बजाय दूसरे नए तरीके की ईंधन का इस्तेमाल होने लगा है. जिसके चलते लकड़ी और कोयले की खपत घट रही है. सरसों के भूसे से ब्लॉक बनाकर कोयले की जगह इस्तेमाल किया जाने लगा है. जिसके चलते सरसों के किसानों को भी फायदा होने लगा है. इसी तरीके से झालावाड़ के सारोला मार्ग पर प्लांट में उत्पादन शुरू होने के कारण सरसों के भूसे के भाव दुगने पहुंच गए. कोयले के भाव में इजाफा होने के कारण देश भर के कई प्लांट में बायोफ्यूल का इस्तेमाल बढ़ गया है. सरकार भी बायोफ्यूल को बढ़ावा देने के लिए इस तरीके का प्लांट लगाने पर 30% सब्सिडी देती है. मौजूदा समय में इसका इस्तेमाल 5% है परंतु अगले 5 सालों में इसके 20% होने की संभावना है.

रेट हुए डबल 

राजस्थान के झालावाड़ इलाके से भूसे को कंप्रेस करके ब्लॉक बनाए जाते हैं. फिर यहां से गुजरात के जामनगर भेजा जाता है. रिलायंस कंपनी देश के अलग-अलग प्लांट में मांग के मुताबिक सप्लाई करती है. आमतौर पर सरसों के भूसे के भाव किसानों को 100 से 150 रुपए प्रति क्विंटल के बीच मिलते थे परंतु अब प्लांट लगने के बाद भूसे के भाव 325 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं. जिससे किसानों को 2000 से 5000 हजार रुपए के बीच अतिरिक्त आमदनी होने लगी है.

सरसों के भूसे से बने हुए ब्लॉक कोयले के मुकाबले में ज्यादा ज्वलनशील है और साथ ही यह कोयले से चार से 5000 रुपए सस्ता भी पड़ता है. प्लांट में ब्लॉक को तैयार करने के लिए किसी प्रकार के रसायन और अन्य रॉ मटेरियल की आवश्यकता नहीं पड़ती. स्टॉक किए गए भूसे की सफाई कर धूल मिट्टी को हटाकर नमी को समाप्त कर दिया जाता है फिर इसके बाद एक निर्धारित तापमान पर इनको कंप्रेस कर ब्लॉक बनाए जाते हैं.