Rajasthan News: अलवर ने प्याज उत्पादन में बनाया रिकॉर्ड, महाराष्ट्र पर राजस्थान की निर्भर हुई खत्म

Rajasthan News: जिले के युवा नहीं केवल आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर हैं, बल्कि जिले के किसानों ने भी इस सफलता की पथ पर कदम रखा है। अब उनके द्वारा अलवर जिले को आत्मनिर्भर बनाने का काम शुरू हो चुका है। यहां अलवर की प्याज मंडी देश की दूसरी सबसे बड़ी मंडी के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुकी है।
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पहले के दौर में, अलवर महाराष्ट्र से प्याज आयात करता था, और अलवर जिले के लोग महाराष्ट्र के प्याज पर आधारित थे। लेकिन अब अलवर जिला स्वयं प्याज का उत्पादन करके आत्मनिर्भर बन रहा है। पिछले कुछ सालों से अलवर जिले के किसानों ने प्याज की खेती आरंभ की है, और उनका उत्पाद बहुत अच्छी मांग और बिक्री का अनुभव कर रहा है। अलवर के प्याज का स्वाद अलवर के साथ ही अन्य राज्यों के लोग भी आनंद ले रहे हैं।
उद्यान विभाग की उपनिदेशक लीलाराम जाट ने बताया कि खरीफ की लाल प्याज के लिए अलवर जिला एक महत्वपूर्ण स्थान है। पहले के समय में इस जिले के किसान महाराष्ट्र के प्याज के आधार पर निर्भर रहते थे। पूरा प्याज का आपूर्ति अलवर को महाराष्ट्र से ही मिलता था। यह महाराष्ट्र से आने वाला प्याज का आपूर्ति कण महंगा भी होता था, जिसके कारण किसानों को अधिक भार पड़ता था। इसके अलावा, इस प्याज के कण में रोग भी होता था, जिससे किसानों की फसल भी नुकसान उठाती थी।
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इसके बाद से किसानों ने खुद ही इस प्याज के कण का उत्पादन करने की प्रैक्टिस शुरू की है। उन्होंने बीज खरीदकर खुद ही कण बनाना शुरू कर दिया है। यह प्रक्रिया जनवरी में शुरू होती है और मई तक पूरी तैयारी के साथ उखड़ जाती है। किसानों को इसे लगभग 2 से 3 महीने तक छांव में सुखाने के लिए रखना पड़ता है। आजकल, महाराष्ट्र से आने वाले प्याज के कण का उपयोग मात्र 5% तक ही रह गया है। अलवर जिले के खैरथल क्षेत्र में मंडी लगाने वाले लोग महाराष्ट्र से यह प्याज के कण खरीदते हैं, जिससे उन्हें मुनाफा मिलता है। अलवर जिले के किसानों की महाराष्ट्र से आने वाले प्याज के कण की ओर अब रुझान नहीं है। वे अब खुद ही अलवर जिले में प्याज के कण का उत्पादन करके मुनाफा कमाने में लगे हैं।