सरसों की बंपर पैदावार के लिए इस्तेमाल करे ये दानेदार कैप्सूल, पानी की चिंता होगी खत्म
Mustard Farming : यह हाइड्रोजेल को मिट्टी में घुले बिना बहुत अधिक पानी सोखता है। यहां तक कि अपने पूरे वजन का 350 गुना पानी अपने अंदर सोखता है और जमा करता है। यही हाइड्रोजेल पौधों को धीरे-धीरे अपना पानी छोड़ता है जब मिट्टी में पानी की कमी होने लगती है। इससे फसल को सिंचाई के लिए निरंतर पानी मिलता है।
Hydrogel Technology: हाइड्रोजेल खेत में इस्तेमाल किया जा सकता है अगर आप सरसों की अच्छी पैदावार चाहते हैं। यह एक नई और बेहतर सिंचाई तकनीक है जो सरसों की पूरी फसल को लाभ देती है। हाइड्रोजेल शुरू से अंत तक सरसों को लाभ देता है। हाइड्रोजेल फसल की बढ़वार से लेकर दानों के मैच्योर होने तक में मदद करता है। आप अब ये हाइड्रोजेल क्या हैं सोच रहे होंगे। तो याद रखें कि हाइड्रोजेल दानेदार कैप्सूल की तरह, ये भी खेत में खेती करने के लिए आवश्यक कृषि सामग्री है। हाइड्रोजेल का इस्तेमाल खेतों में खाद डालने के समान होता है।
यह हाइड्रोजेल को मिट्टी में घुले बिना बहुत अधिक पानी सोखता है। यहां तक कि अपने पूरे वजन का 350 गुना पानी अपने अंदर सोखता है और जमा करता है। यही हाइड्रोजेल पौधों को धीरे-धीरे अपना पानी छोड़ता है जब मिट्टी में पानी की कमी होने लगती है। इससे फसल को सिंचाई के लिए निरंतर पानी मिलता है।
हाइड्रोजेल की उपयोगिता
पानी या सिंचाई की कमी वाले क्षेत्रों में अक्सर सरसों भी बोई जाती है। जब मौसम में अचानक गर्मी बढ़ती है, तो यह समस्या और गंभीर हो जाती है। पानी की कमी से सरसों की वृद्धि और पैदावार दोनों में भारी गिरावट आती है। आईसीएआर की एक रिपोर्ट के अनुसार, पानी की कमी से 17 से 94 प्रतिशत तक सरसों के उत्पादन में कमी आ सकती है। इसलिए, सरसों की फसल के लिए हाइड्रोजेल तकनीक सबसे अच्छी है।
हाइड्रोजेल पहले अपने अंदर पानी सोख लेता है। जब भी इस कैप्सूल को पानी मिलता है, वह उसे अपने अंदर जमा कर लेता है। फिर वह मिट्टी में पानी की कमी होने पर पौधों की जड़ों में पानी देता है। जब उसका पूरा स्टॉक खत्म हो जाता है, वह जरूरत पर पौधों को सिंचाई करने के लिए पानी को अपने अंदर सोखकर जमा करता है। यह तकनीक अपने आप में बहुत अच्छी है क्योंकि यह किसान को टेंशन से बचाता है और सरसों के पौधों को आवश्यक पानी मिलता है।
इस्तेमाल कैसे करें
किसान बाजार में आसानी से हाइड्रोजेल खरीद सकते हैं। हाइड्रोजेल तकनीक सबसे अच्छा काम करती है जहां सिंचाई की सुविधा कम है या बारानी क्षेत्र हैं। सरसों बुवाई के दौरान हाइड्रोजेल मिट्टी में मिलाया जाता है। इसके बाद इसे देखने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। 5 किलो हाइड्रोजेल प्रति हेक्टेयर जब खेत में पानी की कमी होती है, और सामान्य सिंचाई की स्थिति में 2.5 किलो प्रति हेक्टेयर डाला जाता है।
अब इसके लाभ देखते हैं। 5 किलो हाइड्रोजेल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में हाइड्रोजेल डालने से सरसों की उपज 35 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। यह किसान को प्रति हेक्टेयर लगभग 18 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा दे सकता है। साथ ही, किसानों को प्रति हेक्टेयर 2.5 किलो हाइड्रोजेल डालने से सरसों की पैदावार में 23 प्रतिशत की वृद्धि और 15 हजार रुपये का मुनाफा मिल सकता है।