इस राज्य में पानी में मिला कोरोना वॉयरस, मच गया हड़कंप, जानिए बड़ी ख़बर

देश में लगभग 1 महीने तक के वक्त से कोरोना की सुनामी चल रही थी लेकिन अब इस हफ्ते के बाद से कोरोना मामलों में तेजी गिरावट देखी जा रही है. इस बीच एक चिंता करने वाली खबर सामने आई है की उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सीवेज के पानी में कोरोना वायरस की
 

देश में लगभग 1 महीने तक के वक्त से कोरोना की सुनामी चल रही थी लेकिन अब इस हफ्ते के बाद से कोरोना मामलों में तेजी गिरावट देखी जा रही है. इस बीच एक चिंता करने वाली खबर सामने आई है की उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सीवेज के पानी में कोरोना वायरस की पुष्टि होने से हड़कंप मच गया है. लखनऊ के पीजीआई ने पानी के सैंपल की जांच की. जिसके बाद पानी में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है.

जानकारी के लिए बता दें की पीजीआई माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि आईसीएमआर-डब्लूएचओ द्वारा देश में सीवेज सैंपलिंग शुरू की गई. इसमें यूपी में भी सीवेज के नमूने लिए गए है. एसजीपीआई लैब में आये सीवेज सैंपल के पानी में वायरस की पुष्टि हुई है. उन्होंने बताया कि लखनऊ में खदरा के रूकपुर, घंटाघर व मछली मोहाल के ड्रेनेज से सीवेज सैंपल लिए गए थे. यह वह स्थान है जहां पूरे मोहल्ले का सीवेज एक जगह पर गिरता है.

19 मई को इस सैंपल की जांच की गई तो रूकपुर खदरा के सीवेज के सैंपल में कोरोना वायरस पाया गया है. पूरी स्थिति से आईसीएमआर और डब्ल्यूएचओ को अवगत करा दिया गया है. डॉक्टर घोषाल ने बताया कि अभी यह प्राथमिक अध्ययन है. भविष्य में इस पर विस्तार से अध्ययन किया जाएगा.

डॉ उज्जवला घोषाल ने बताया कि कुछ समय पहले पीजीआई के मरीजों में अध्ययन किया गया था उस वक्त यह पाया गया था कि मल में मौजूद वायरस पानी में पहुंच सकता है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कोरोनावायरस से पीड़ित तमाम मरीजों के मल से सीवेज तक कोरोनावायरस पहुंचा हो. कई अन्य शोध पत्रों में भी यह बात सामने आई है कि 50 प्रतिशत मरीजों के स्टूल के वायरस सीवेज तक पहुंच जाते हैं.

डॉक्टर उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि आईसीएमआर-डब्लूएचओ द्वारा देश में सीवेज सैंपलिंग शुरू की गई. इसमें उत्तर प्रदेश में भी सीवेज के नमूने लिए गए है. इसमें देशभर के अलग-अलग शहरों से पानी में कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए सीवेज सैंपल जुटाए जा रहे हैं.

डॉ उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि सीवेज के जरिए नदियों तक पानी पहुंचता है. ऐसे में यह आम जनता के लिए कितना नुकसान देह होगा इस पर अभी गहन अध्ययन किया जाना बाकी है.

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