इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए खुशखबरी, अब यह नई बैटरी होगी 10 मिनट में चार्ज

Electric Vehicle : हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर्स का कहना है कि सॉलिड स्टेट टेक्नोलॉजी पर बेस्ड यह बैटरी प्राकृतिक धातुओं से बनी है. इसे इस तरह से बनाया गया है कि इसे फुल चार्ज होने में सिर्फ 10 मिनट का समय लगता है.
 

The Chopal (Electric Vehicle) : इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने वालों के लिए सबसे बड़ी टेंशन इसकी चार्जिंग है। EV (Electric Vehicle) में हैवी ड्यूटी लीथियम बैटरी लगी होती है, जिसे चार्ज करने में अच्छा-खासा वक्त लग जाता है। कई EV (Electric Vehicle) बनाने वाली कंपनियां टू-व्हीलर्स के लिए तो बैटरी स्वैपिंग का ऑप्शन देती हैं, लेकिन गाड़ी की बैटरी को स्वैप करना नामुमकिन है। हावर्ड यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ने इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वालों की इस संकट को खत्म कर दिया है। रिसर्चर्स ने ऐसी सॉलिड स्टेट बैटरी बनाई है, जिसे 10 मिनट में फुल चार्ज किया जा सकता है।

मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक सॉलिड-स्टेट बैटरी में लिथियम-आयन बैटरी के मुकाबले ऊर्जा का घनत्व ज्यादा होता है, जो इलेक्ट्रोलाइट समाधान का उपयोग करता है. सॉलिड स्टेट बैटरी की विशेषता यह है कि इसमें ब्लास्ट होने या फिर आग लगने का खतरा नहीं होता है. इसलिए सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विभिन्न तत्वों की जरूरत नहीं पड़ती. इसके अलावा, इससे ज्यादा जगह की बचत होती है. तब हमारे पास ज्यादा सक्रिय सामग्री प्रयोग करने के लिए ज्यादा जगह होती है, जो बैटरी क्षमता को बढ़ाता है. एक सॉलिड-स्टेट बैटरी प्रति यूनिट क्षेत्र में ऊर्जा की मात्रा को बढ़ा सकती है, क्योंकि कम गिनती में बैटरियों की जरूरत होती है. इस कारण एक सॉलिड-स्टेट बैटरी मॉड्यूल और EV (Electric Vehicle) बैटरी सिस्टम बनाने के लिए उपयुक्त है.

फुल चार्ज में लगते है, सिर्फ 10 मिनट

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर्स का कहना है कि सॉलिड स्टेट टेक्नोलॉजी पर बेस्ड यह बैटरी प्राकृतिक धातुओं से बनी है. इसे इस तरह से बनाया गया है कि इसे फुल चार्ज होने में सिर्फ 10 मिनट का समय लगता है. इस लीथियम मेटल सॉलिड स्टेट बैटरी को हार्वर्ड विश्वविद्यालय के जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड अप्लाइड सांइस के रिसर्च स्कॉलर्स ने बनाया है. इस प्रोजेक्ट से जुड़े एसोसिएट प्रोफेसर जिन ली का कहना है कि सॉलिड स्टेट बैटरी में 6,000 गुना चार्जिंग साइकिल मिलता है, जो अन्य किसी पाउच बैटरी सेल के मुकाबले बहुत ज्यादा है. शोधार्थियों का कहना है कि लिथियम मेटल एनोड से बनी बैटरी को इलेक्ट्रिक वाहनों और अप्लायंसेज में इसलिए इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि इसमें ग्रेफाइट एनोड के मुकाबले ज्यादा क्षमता होती है.

जल्द तैयार होगा कमर्शियल उत्पादन

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थियों का दावा है कि जल्द ही EV (Electric Vehicle) को भी फास्ट चार्जिंग बैटरी मिलने लगेगी. इस सॉलिड स्टेट बैटरी का आने वाले कुछ वर्षों में कमर्शियल उत्पादन किया जाएगा. यह फ्यूचिरिस्टिक बैटरी 6,000 साइकिल के बाद भी 80 फीसदी क्षमता बनाए रखती है, जो किसी भी पाउच सेल बैटरी के मुकाबले ज्यादा बढ़िया है. इस बैटरी को EV (Electric Vehicle) में लगाने के बाद उन्हें चार्ज करना बेहद ही आसान हो जाएगा. हाईवे के किनारे लगे चार्जिंग प्वाइंट पर 10 मिनट चार्ज करने के बाद फिर से यात्रा की जा सकेगी.

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