6 साल पहले मंदिर में बच्चा दिया था दान, पुलिस ने कराया रेस्कयु, माता पिता पर FIR दर्ज करने के आदेश,

हरियाणा के हांसी शहर के समाधा मंदिर में बच्चा दान करने के हैरान करने वाले मामले में मंगलवार को बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम जांच करने पहुंची. बाल अधिकार सरक्षण आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा की अगुवाई में टीम ने मंदिर में सर्च अभियान चलाया व मंदिर में रह रहे 6 वर्षीय बच्चे को
 

हरियाणा के हांसी शहर के समाधा मंदिर में बच्चा दान करने के हैरान करने वाले मामले में मंगलवार को बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम जांच करने पहुंची. बाल अधिकार सरक्षण आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा की अगुवाई में टीम ने मंदिर में सर्च अभियान चलाया व मंदिर में रह रहे 6 वर्षीय बच्चे को रेस्क्यू किया एवं कुछ दिन पूर्व मंदिर में कथित रूप से बच्चा दान करने वाले माता-पिता को भी रेस्ट हाउस में तलब कर फटकार लगाई. टीम ने मंदिर के बाहर महंत व बच्चे के कमरे की टीम ने तलाशी ली और काफी संदिग्ध सामान जब्त किया.

जानकारी के लिए बता दें कि हांसी के समाधा मंदिर में बीते बुधवार को एक व्यक्ति ने मंदिर में आस्था के चलते कथित रूप से अपने बच्चे को मंदिर महंतों के सानिध्य में दान किया था. वहीं बता दें इस मामले में एसपी नितिका गहलोत ने सूचना मिलते ही तुरंत एक्शन लेते हुए बच्चे के परिजनों को थाने में तलब करने के निर्देश दिए थे और पुलिस कार्रवाई की गाज गिरते देख बच्चे को वापिस ले लिया था. मासूम बच्चों के अधिकार व धार्मिक आस्था से जुड़े इस संवेदनशील मामले में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कड़ा संज्ञान लिया था व चेयरपर्सन ज्योति बैंदा स्वयं सीडब्ल्यूसी टीम सहित मंगलवार को मंदिर में जांच करने पहुंची.

मंदिर में बच्चों से जुड़ा तमाम रिकॉर्ड उन्होंने तलब किया व कमरों में सर्च अभियान चलाया. मंदिर में रहने वाले एक अन्य उम्र पांच साल बच्चे को चेयरपर्सन के निर्देशों पर तुरंत बाल संरक्षण कमेटी ने अपनी कस्टडी में ले लिया. उन्होंने कहा कि जिस कमरे में बच्चे को रखा गया था उसके हालात एक छोटे बच्चे के रहने लायक बिल्कुल नहीं हैं. चेयरपर्सन ने बच्चे के मेडिकल व मनोवैज्ञानिक से काउंसलिंग करवाने के निर्देश दिए हैं व बच्चे के माता-पिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं.
ऐसे बच्चे दान करने की पंरपरा गलतबाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने कहा इस प्रकार से बगैर कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बच्चे दान करना गलत परंपरा है.

18 साल तक बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी माता-पिता की है. अगर वह बच्चे को नहीं रखना चाहते हुए जिला बाल संरक्षण कमेटी को सरेंडर किया जाना चाहिए. आयोग ऐसी शिकायतों पर सख्त कार्रवाई करता है और इस मामले में भी बच्चे के माता-पिता के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं और मंदिर पर आयोग नजर रखेगा.

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