यहाँ कम दाम पर मिलती हैं राजस्थान की लाजवाब काजू बर्फी, 100 वर्षों का पुराना स्वाद

राजस्थान की संस्कृति और भोजन की पहचान देश और विदेशों में है। इस कड़ी में चूरू में बनने वाली मिठाई देसी ही नहीं, बल्कि विदेशी भी है। करीब सौ वर्ष पुरानी इस दुकान की काजू बर्फी एक अलग तरह की है।
 

The Chopal - राजस्थान की संस्कृति और भोजन की पहचान देश और विदेशों में है। इस कड़ी में चूरू में बनने वाली मिठाई देसी ही नहीं, बल्कि विदेशी भी है। करीब सौ वर्ष पुरानी इस दुकान की काजू बर्फी एक अलग तरह की है। मुमताज अस्पताल के निकट स्थित हमराज जल पान गृह के संचालक प्रेम प्रकाश शर्मा बताते हैं कि इस दुकान में तीसरी पीढ़ी काम कर रही है। यहाँ बनने वाली कई मिठाइयों में से काजू बर्फी हमेशा से खास रही है।

ये भी पढ़ें - फ्री मोबाइल के बाद अब महिलाओं को दी जाएगी मुफ़्त में स्कूटी 

Sharma कहते हैं कि इस मिठाई का सबसे अच्छा पक्ष है कि यह कई दिनों तक खराब नहीं होता। अपने लाजवाब स्वाद से किसी को भी दीवाना बना सकती है। उसने कहा कि राज्य के हर स्थान पर बर्फी बनाई और बेची जाती है, लेकिन उनकी काजू बर्फी अपने आप में अलग है। शर्मा बताते हैं कि उनके स्थान पर 400 रुपये प्रति किलो काजू बर्फी की कीमत है, हालांकि आम तौर पर इसकी कीमत 600 से 800 रुपये प्रति किलो होती है। यह बताया गया है कि शौकीन यहां कम कीमत पर उत्तम स्वाद मिलता है।

ये भी पढ़ें - Video :सड़क पर करोड़ों के हीरे गिरे होने का मैसेज हुआ वायरल, ढूंढने के लिए लोगों की लगी भीड़ 

कम भाव के कारण - 

शर्मा बताते हैं कि मुमताज अस्पताल के निकट उनकी दुकान है। बताया कि कम भाव के कारण वह प्रतिदिन पंद्रह से उन्नीस किलो काजू बर्फी बनाते हैं, जो तुरंत बिक जाती है। वह काजू बर्फी स्वयं बनाता है। कम लाभ उठाते हैं। उनके यहां कम रेट हैं क्योंकि वे खुद हलवाई हैं। वह 400 रुपये किलो में 600 रुपये में बिकने वाली काजू बर्फी बेचते हैं। यह शुद्धता के चलते उपवास में भी खाया जा सकता है, साथ ही ताजा और स्वच्छ है। आप 9828766510 पर ऑर्डर भी दे सकते हैं इन नंबरों पर।

इस तरह बर्फी बनती है

बताया गया कि पहले काजू को पानी में भिगो देना चाहिए। फिर काजू धो लो। इसे पीसते हैं। फिर भट्टी पर मंद आंच पर काजू सेंकते हैं। चीनी काजू के बराबर डालें। भट्टी पर मंद आंच पर एक घंटे तक सिकाई करें। घान ठंडा होने पर छोड़ दें। फिर बर्फी का टुकड़ा करते हैं और पाटे पर बेलते हैं।