खाद-बीज की दुकान खोलने वालों की हुई मौज, लाइसेंस मिलना हुआ काफी आसान
खाद-बीज का बिजनेस शुरू करने के इच्छुक युवक केवल 15 दिन की ट्रेनिंग लेकर लाइसेंस ले सकते हैं। इसके बाद वे अपने गांव, कस्बे या शहर में एक दुकान खोल सकते हैं और किसानों को आवश्यक सामग्री बेचकर पैसे कमाने के लिए काम कर सकते हैं।
The Chopal, Rajasthan News : भारत कृषि प्रधान देश है, इसलिए खाद और बीज का उद्योग महत्वपूर्ण है। खेती-किसानी में खाद और बीज की बड़ी मांग दोनों शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में होती है। यह क्षेत्र बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार का बेहतरीन मौका दे सकता है। युवाओं को खाद-बीज की दुकान खोलने के लिए लाइसेंस लेना होगा, जिसके लिए न्यूनतम योग्यता दसवीं पास होनी चाहिए।
खाद-बीज का व्यवसाय शुरू करने के इच्छुक युवा केवल 15 दिन की ट्रेनिंग लेकर लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं, जो कम लागत में स्वरोजगार का मौका है। इसके बाद वे अपने गांव, कस्बे या शहर में एक दुकान खोल सकते हैं और किसानों को आवश्यक सामग्री बेचकर पैसे कमाने के लिए काम कर सकते हैं।
प्रशिक्षण लाइसेंस पाने के लिए संबंधित कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से 15 दिन का सर्टिफिकेट कोर्स करना आवश्यक है। डॉ. रावताराम भाखर, कृषि अधिकारी, ने बताया कि इस कोर्स में प्रशिक्षकों को सैद्धांतिक और प्रायोगिक दोनों तरीकों से प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें रासायनिक उर्वरकों के विभिन्न प्रकार, पौधों में उनकी उपयोगिता और संतुलित उपयोग की जानकारी दी गई है। युवा कोर्स पूरा करने के बाद खाद-बीज विक्रय का लाइसेंस मिल सकता है।
खाद और बीज की दुकान खोलने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया सरल है। कृषि और किसान कल्याण विभाग (DBT) के पोर्टल पर जाकर आवेदक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। Offline आवेदन के लिए, आप सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपने जिले के कृषि विभाग कार्यालय में जाकर आवेदन जमा कर सकते हैं।
आवश्यक दस्तावेज और योग्यता— योग्य: न्यूनतम दसवीं पास करना चाहिए।
– लेख: शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र और पासपोर्ट साइज फोटो
– प्रशिक्षण पत्र: कृषि विज्ञान केंद्र से संबंधित।
खाद-बीज की दुकान खोलने से न केवल बेरोजगार युवा लोगों को स्वरोजगार का मौका मिलेगा, बल्कि वे किसानों की सहायता कर कृषि क्षेत्र में योगदान भी दे सकेंगे। कम लागत में यह व्यवसाय शुरू किया जा सकता है और अच्छी आय का जरिया बन सकता है। यह कदम किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में युवाओं के लिए स्वरोजगार को भी बढ़ावा देगा।