Varanasi Property: वाराणसी की प्रॉपर्टी कीमतों में उछाल, प्लॉट खरीदने से पहले जानिए सर्किल रेट
Varanasi Property :आज के इस युग में खुद का घर बनाना हर इंसान का सपना होता है। परंतु अपना सपनों का घर बनाने के लिए जमीन खरीदने के लिए जेब में प्रॉपर्टी का बाजार रेट के हिसाब से पैसे होना जरूरी है। इसी बीच अगर आप प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय इलाके वाराणसी में पूर्वांचल सहित अन्य राज्यों से भी लोग निवेश कर रहे हैं। इस तरह काशी में काफ़ी विकास हुआ है ऐसे में यदि आप यहां प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहते हैं तो जान लीजिए यहां के सर्किल रेट।
Sep 20, 2024, 20:30 IST
Varanasi Circle Rate : वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय इलाका होने से और लगातार नई परियोजनाओं की वजह से बनारस में पूरे पूर्वांचल समेत अन्य राज्यों से भी लोग निवेश कर रहे हैं। वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के अलावा काशी रेलवे स्टेशन का कायाकल्प, वही रिंग रोड के पहले चरण का काम पूरा हो चुका है और दूसरे चरण का काम भी खत्म होने की कगार पर है। इसी बीच आप भी वाराणसी में प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहते हैं तो जान लीजिए प्रॉपर्टी के सर्किल रेट।
पूर्वांचल के सबसे बड़े आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक केंद्र के तौर पर वाराणसी में अपना सपनों का घर होना आज के समय में एक बड़ी उपलब्धि है। 2014 में वाराणसी से नरेंद्र मोदी चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री बने। नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से वाराणसी जनपद के राजनीतिक कद में जबरदस्त उछाल आया। लगातार नए-नए प्रोजेक्ट के आने से प्रॉपर्टी के बाजार में भी भारी तेजी देखने को मिली। इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ पर्यटन को लेकर बीते 10 सालों में वाराणसी में जबरदस्त परिवर्तन हुआ। इन सबका असर ये हुआ कि बनारस में अपना मकान बनाना नोएडा-दिल्ली से भी महंगा हो गया है।
वाराणसी के शहरी इलाके में सर्किल रेट आसमान छू रहे हैं तो वहीं ग्रामीण इलाके में नए परियोजनाओं की वजह से कई इलाकों में जमीन की खरीद फरोख्त पर ही रोक लग चुकी है। ऐसे में अब भी वाराणसी के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां निवेश किया जा सकता है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के साथ मा गंगा के किनारे 200 मीटर के भीतर निर्माण के लिए कोर्ट से कई तरह की पाबंदी लगी हुई है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद धार्मिक पर्यटकों की संख्या में बनारस में बेहिसाब वृद्धि हुई है।
इसलिए इस कॉरिडोर के आसपास लगभग सभी मकानों में गेस्ट हाउस, होम स्टे, होटल, लॉज, पेइंग गेस्ट हाउस खुल गए हैं। औसतन 50 हजार के करीब पर्यटक रोज काशी आते हैं और इनकी संख्या के अनुपात में होटलों की संख्या काफी कम है। ऐसे में वाराणसी के जिला प्रशासन होटल इंडस्ट्री के लिए काफी सकरात्मक रुख दिखा रही है।
इलाके के हिसाब से सर्किल रेट
विकास परियोजनाओं पर तेजी से चल रहा है काम
ऐसा नही है कि मात्र धार्मिक दृष्टिकोण की वजह से ही बनारस में परिवर्तन हुआ है। चिकित्सा के क्षेत्र में भी बनारस में काफी काम दस वर्षों में हुए है। टाटा का कैंसर संस्थान जो लहरतारा और नारिया इलाके में है। इसके अलावा बीएचयू में नया शताब्दी अस्पताल चिकित्सा के के क्षेत्र में पूर्वांचल समेत आसपास के अन्य राज्यों के लिए भी एक बड़ा केंद्र बनकर उभरा है।
औद्योगिक विकास की रफ्तार के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का होना बेहद अहम पहलू है। करखियाव और रामनगर इंडस्ट्रियल एरिया फेज-2 में लगातार नए उद्योग लग रहे हैं। पीएम मोदी ने अमूल के डेयरी प्लांट का उद्घाटन 2024 के ठीक पहले करके उद्योगों के लिए रोड मैप तैयार कर दिया है।
चन्दौली और जौनपुर जिलों से सटे रामनगर इंडस्ट्रियल एरिया फेज-2 और करखियाव इंडस्ट्रियल एरिया के लिए रिंग रोड की कनेक्टिविटी का लगातर काम चल रहा है। 28 किमी लम्बे रिंग रोड फेज-2 का काम पूरा हो चुका है तो 30 किमी का फेज-2 का काम भी पूरी तेजी के साथ चल रहा है। इस रिंग रोड के बनने के बाद चोलापुर, चौबेपुर, पिंडरा, हरहुआ रामनगर जैसे क्षेत्रों के जबरदस्त विकास की संभावनाएं हैं।
पूर्वांचल के सबसे बड़े आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक केंद्र के तौर पर वाराणसी में अपना सपनों का घर होना आज के समय में एक बड़ी उपलब्धि है। 2014 में वाराणसी से नरेंद्र मोदी चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री बने। नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से वाराणसी जनपद के राजनीतिक कद में जबरदस्त उछाल आया। लगातार नए-नए प्रोजेक्ट के आने से प्रॉपर्टी के बाजार में भी भारी तेजी देखने को मिली। इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ पर्यटन को लेकर बीते 10 सालों में वाराणसी में जबरदस्त परिवर्तन हुआ। इन सबका असर ये हुआ कि बनारस में अपना मकान बनाना नोएडा-दिल्ली से भी महंगा हो गया है।
वाराणसी के शहरी इलाके में सर्किल रेट आसमान छू रहे हैं तो वहीं ग्रामीण इलाके में नए परियोजनाओं की वजह से कई इलाकों में जमीन की खरीद फरोख्त पर ही रोक लग चुकी है। ऐसे में अब भी वाराणसी के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां निवेश किया जा सकता है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के साथ मा गंगा के किनारे 200 मीटर के भीतर निर्माण के लिए कोर्ट से कई तरह की पाबंदी लगी हुई है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद धार्मिक पर्यटकों की संख्या में बनारस में बेहिसाब वृद्धि हुई है।
इसलिए इस कॉरिडोर के आसपास लगभग सभी मकानों में गेस्ट हाउस, होम स्टे, होटल, लॉज, पेइंग गेस्ट हाउस खुल गए हैं। औसतन 50 हजार के करीब पर्यटक रोज काशी आते हैं और इनकी संख्या के अनुपात में होटलों की संख्या काफी कम है। ऐसे में वाराणसी के जिला प्रशासन होटल इंडस्ट्री के लिए काफी सकरात्मक रुख दिखा रही है।
इलाके के हिसाब से सर्किल रेट
- भेलूपुर सर्किल में धार्मिक पर्यटन और स्वस्थ्य पर्यटन के लिहाज से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। ऐसे में ये पूरा क्षेत्र व्यावसायिक रूप स समृद्ध है। इस जोन में लंका, नगवां, भेलूपुर, सामने घाट, चितईपुर जैसे इलाके आते हैं। यहां पर सर्किल रेट करीब 18 हजार वर्ग मीटर से लेकर 25 हजार वर्ग मीटर तक है।
- रामनगर क्षेत्र में सर्किल रेट भेलूपुर के मुकाबले थोड़ा कम है। यहां पर 8 हजार से लेजर 15 हजार प्रति वर्गमीटर तक सर्किल रेट है, जोकि आवासीय और व्यावसयिक हिसाब से निर्धारित होता है।
- वाराणसी जिले के गंगापुर नगर पंचायत क्षेत्र में सबसे कम सर्किल रेट है। यहां के इलाकाई सर्किल रेट 5 हजार से लेकर 10 हजार प्रति वर्ग मीटर है।
- राजघाट के क्षेत्र में कोनिया कजाकपुरा, सरैया, पड़ाव, प्रह्लाद घाट, मछोदरी, विश्वेश्वर गंज जैसे क्षेत्र हैं, जहां सर्किल रेट 10 हजार से लेकर 20 हजार प्रति वर्ग मीटर है।
- जिले के राजातालाब-मिर्जामुराद में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बन रहा है। इस वजह से इस क्षेत्र के बड़े हिस्से में फिलहाल जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगा दी गई है। इसी क्षेत्र में बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान के पांच सितारा होटल बनवाने की भी खबर है। ग्रामीण क्षेत्र होने की वजह से इन इलाकों में सर्किल रेट 5 हजार से लेकर 10 हजार प्रति वर्ग मीटर तक है।
- जिले के चौबेपुर-चोलापुर ब्लॉक के क्षेत्र से रिंग रोड का अधिकांश हिस्सा जुड़ा हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र होने की वजह से इन क्षेत्रों में सर्किल रेट सबसे कम है। यहां 2 हजार से लेकर 8 हजार प्रति वर्ग मीटर की दर से सर्किल रेट निर्धारित है।
- जिले के सिगरा, महमूरगंज, नदेसर, सोनिया, औरंगाबाद, माधवपुर, मलदहिया, सिद्धगिरीबग, रथयात्रा के इलाके पूरी तरह से व्यावसयिक है। इन क्षेत्रों की सर्किल रेट सबसे ज्यादा है। इन क्षेत्र में सर्किल रेट 30 हजार रुपये प्रति वर्गमीटर तक है।
विकास परियोजनाओं पर तेजी से चल रहा है काम
ऐसा नही है कि मात्र धार्मिक दृष्टिकोण की वजह से ही बनारस में परिवर्तन हुआ है। चिकित्सा के क्षेत्र में भी बनारस में काफी काम दस वर्षों में हुए है। टाटा का कैंसर संस्थान जो लहरतारा और नारिया इलाके में है। इसके अलावा बीएचयू में नया शताब्दी अस्पताल चिकित्सा के के क्षेत्र में पूर्वांचल समेत आसपास के अन्य राज्यों के लिए भी एक बड़ा केंद्र बनकर उभरा है।
औद्योगिक विकास की रफ्तार के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का होना बेहद अहम पहलू है। करखियाव और रामनगर इंडस्ट्रियल एरिया फेज-2 में लगातार नए उद्योग लग रहे हैं। पीएम मोदी ने अमूल के डेयरी प्लांट का उद्घाटन 2024 के ठीक पहले करके उद्योगों के लिए रोड मैप तैयार कर दिया है।
चन्दौली और जौनपुर जिलों से सटे रामनगर इंडस्ट्रियल एरिया फेज-2 और करखियाव इंडस्ट्रियल एरिया के लिए रिंग रोड की कनेक्टिविटी का लगातर काम चल रहा है। 28 किमी लम्बे रिंग रोड फेज-2 का काम पूरा हो चुका है तो 30 किमी का फेज-2 का काम भी पूरी तेजी के साथ चल रहा है। इस रिंग रोड के बनने के बाद चोलापुर, चौबेपुर, पिंडरा, हरहुआ रामनगर जैसे क्षेत्रों के जबरदस्त विकास की संभावनाएं हैं।