Black Salt Paddy : किसान हो जाएंगे मालामाल- काला नमक धान की विदेशों में बढ़ रही तेजी से मांग, देखें रिपोर्ट
Black Salt Paddy काला नमक धान की खेती कमाई के मामले मे किसान भाइयों के किसी लॉटरी से कम नहीं है . धान की इस किस्म केआज पूर्वांचल की एक अलग पहचान बन गई है . इसी वजह से इस खास किस्म का एरिया काफी बढ़ गया है और अभी पूर्वांचाल के 11 जिलों को जीआई टैग मिल चुका है .
एक अनुमान के अनुसार इन जिलों में इस साल लगभग 50 हजार हेक्टेयर में इस खास किस्म की खेती की जाएगी. कृषि वैज्ञानिक प्रो. रामचेत चौधरी ने इस खास किस्म को अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने मे अहम भूमिका निभाई है. उनका मानना है कि जीआई टैग मिलने के बाद इस किस्म की लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा हुआ है.
प्रो. रामचेत चौधरी का कहना हैं कि जीआई टैग मिलने के कारण इस किस्म को खास पहचान मिली है. पूर्वांचल में 2009 तक लगभग 2 हजार हेक्टेयर जमीन में ही काले नमक चावल की खेती होती थी. लेकिन वर्तमान में पूर्वांचल में इसका रकबा 45 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है. यहां के सिद्धार्थ नगर क्षेत्र में इसका सबसे ज्यादा रकबा है. Black Salt Paddy
उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि चावल की इस किस्म का रकबा 1 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है. जानकारी अनुसार बता दें कि चावल की यह खास किस्म किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है. क्योंकि इसकी कीमत बासमती राइस से भी अधिक होती है. काला नमक धान जो की लगभग प्रति एकड़ 22 क्विंटल तक उत्पादन दे सकता है.
विदेश मे लोगों ने काफी किया पसंद
चावल की यह विशेष किस्म शुगर फ्री होती है और प्रोटीन, आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्व से भरपूर होती है . यह किस्म अन्य किस्मों के मुकाबले मे जिंक चार गुना, आयरन तीन गुना और प्रोटीन दो गुना अधिक पाया जाता है. इसी कारण आज इसकी मांग विदेशों में भी शुरू हो गई है. 2019-20 में कई देशों में यह निर्यात किया गया. सिंगापुर में पिछले साल सबसे पहले 200 क्विंटल चावल एक्सपोर्ट किया गया था. जिसके बाद वहां के लोगों को यह काफी पसंद आया और दोबारा 300 क्विंटल चावल मंगाया गया. इसी तरह दुबई को 20 क्विंटल तथा जर्मनी को एक क्विंटल चावल निर्यात किया गया है. Black Salt Paddy
पूर्वांचल के 11 जिलों को जीआई टैग मिल चुका है. यह जिले हैं महाराजगंज, गोरखपुर, सिद्धार्थ नगर, संत कबीरनगर, बलरामपुर, बहराइच, बस्ती, कुशीनगर, गोंडा, बाराबंकी, देवरिया और गोंडा. ये जिले जीआई टैग धारक है और इस खास किस्म का उत्पादन और बिक्री दोनों ही कर सकते हैं.