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Nano Urea : अब बोरी की जगह आधा लीटर तरल नैनो यूरिया से चल जाएगा काम, इफको की नई तकनीक,

The Chopal , New Delhi Nano Urea : भारत में कई क्षेत्रों में क्रान्ति ला चुकी नैनो तकनीक अब कृषि क्षेत्र में अपना कमाल दिखाने वाली है. बोरे भरकर खेतों में खाद का छिड़काव अब बीते दिन की बात होगी. दुनिया का पहला नैनो तकनीक आधारित यूरिया भारत में तैयार कर लिया गया है और
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Nano Urea : अब बोरी की जगह आधा लीटर तरल नैनो यूरिया से चल जाएगा काम, इफको की नई तकनीक,

The Chopal , New Delhi

Nano Urea : भारत में कई क्षेत्रों में क्रान्ति ला चुकी नैनो तकनीक अब कृषि क्षेत्र में अपना कमाल दिखाने वाली है. बोरे भरकर खेतों में खाद का छिड़काव अब बीते दिन की बात होगी. दुनिया का पहला नैनो तकनीक आधारित यूरिया भारत में तैयार कर लिया गया है और इसे ईजाद करने में राजस्थान प्रदेश के जोधपुर मूल के वैज्ञानिक डॉ. रमेश रलिया की खास भूमिका है.

इफको ने हाल ही में हुई अपनी 50वीं वार्षिक आम बैठक में नैनो तकनीक आधारित यूरिया लॉच किया है. इस नैनो खाद का पेटेंट जोधपुर मूल के वैज्ञानिक डॉ. रमेश रलिया के नाम है. डॉ. रलिया की पेटेंटेड तकनीक के माध्यम से कलोल स्थित नैनो जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र में तैयार किया गया नैनो यूरिया आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा. Nano Urea

Nano Urea : अब बोरी की जगह आधा लीटर तरल नैनो यूरिया से चल जाएगा काम, इफको की नई तकनीक,
साकेतिक तस्वीर

नैनो यूरिया के प्रयोग से फसलों की पैदावार बढ़ती है और पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार होता है. भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में भी यह कारगर साबित होगा. नैनो यूरिया की 500 एमएल की बोतल सामान्य यूरिया के 1 बैग के बराबर होगी. आकार छोटा होने से परिवहन और भण्डारण की लागत में कमी आएगी. अभी किसान जिस सामान्य यूरिया का प्रयोग करते हैं उसका करीब 75 फीसदी हिस्सा बर्बाद होता है. सामान्य यूरिया से मिट्टी और पौधों को भी खतरा बढ़ जाता है.

वहीं नैनो यूरिया सस्ता होने के चलते किसानों की लागत कम होगी साथ ही यूरिया की बर्बादी कम होगी. वहीं सब्सिडी पर सरकार का पैसा भी बचेगा. देशभर में किए गए नैनो यूरिया के परीक्षण के बाद इसे उर्वरक नियंत्रण आदेश में शामिल कर लिया गया है. इसकी प्रभावशीलता जांच के लिए देश में 94 से ज्यादा फसलों पर करीब 11 हजार कृषि क्षेत्र परीक्षण किए गये थे.

इन परीक्षणों में फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है. सामान्य यूरिया के प्रयोग में कम से कम 50 प्रतिशत की कमी लाने के मकसद से इसे तैयार किया गया है. नैनो यूरिया ईजाद करने वाले जोधपुर मूल के वैज्ञानिक डॉ. रमेश रलिया अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक रहे हैं.

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