अब रेगिस्तान में भी होगी आम की खेती, राजस्थान के किसान नें शुरू की खेती, आप भी जानें तरीका

The Chopal, जयपुर: राजस्थान में आम की खेती की शुरुआत हो चुकी है और यहां किसानों को सफलता मिल रही है। इसका अच्छा संकेत है कि थार रेगिस्तान में एक किसान ने आम की फसल को सफलतापूर्वक उगाने का काम किया है और उनके बाग में अच्छे फल लगे हुए हैं। राजस्थान के किसानों के लिए यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि वहां की जलवायु, मिट्टी और तापमान आम के पौधों के उच्च विकास के लिए उपयुक्त हैं।
आम की खेती में सफलता के लिए, सही जलवायु, मिट्टी का मानचित्रण और नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। राजस्थान के किसानों को उचित सलाह और नवाचार की आवश्यकता होती है ताकि वे आम की खेती में अच्छा उत्पादन कर सकें। इसके लिए, वे अनुभवी किसानों से सहायता ले सकते हैं और राजस्थान में आम की खेती के लिए उचित तकनीकों और विधियों का उपयोग कर सकते हैं।
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रामेश्वर सोनी जी, जो खींवसर विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं, ने थार मरुस्थल में आम के बाग लगाए हैं। उन्होंने अपने बाग में दो आम के पेड़ लगाए हैं और यहां पर 40 से 50 आम के फल उगे थे। उनके परिवार ने इन मीठे आमों का स्वाद चखा और संतुष्टि महसूस की। अभी भी कुछ आम पेड़ पर उग रहे हैं, जिन्हें वे और उनके परिवार का आनंद ले रहे हैं। दक्षिणी राजस्थान में आम की खेती करने वाले किसानों को रेगिस्तान की भीषण गर्मी के कारण आम के बाग लगाने में समस्या होती है। इसके कारण पानी की कमी हो जाती है और आम के पेड़ सूख जाते हैं। हालांकि, खींवसर तहसील के रामेश्वर सोनी जी ने सोनी रेगिस्तान में आम की खेती में सफलता प्राप्त की है। इससे अब अन्य किसान भी रेगिस्तान में आम की खेती कर सकते हैं। विशेष रूप से रामेश्वर लाल सोनी जी ने अपने बाग में आम की केसर वार्यता के दो पेड़ लगाए हैं।
रामेश्वर सोनी जी का आम के पेड़ों पर लगने वाले फलों के बारे में रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ सालों में ही उनके दोनों आम के पेड़ों पर फल आने शुरू हो गए हैं। रामेश्वर सोनी जी एक प्रॉपर्टी डीलर के साथ-साथ बागवानी का काम भी करते हैं और उन्हें बागवानी करने का बहुत शौक है। उनके घर में शहतूत, चंदन, अंगूर, और अमरूद जैसे कई प्रकार के पेड़ लगे हुए हैं। उन्हें आम के पेड़ लगाने में भी बहुत रुचि थी, इसलिए उन्होंने पुष्कर से आम के दो पौधे लाकर अपने बाग में लगाए। वे अपने आम के पेड़ों की अच्छी देखभाल कर रहे हैं और उन्होंने रासायनिक खाद की बजाय जैविक उर्वरक का उपयोग किया है, साथ ही बराबर सिंचाई का ध्यान रखा है। इस प्रयास से कुछ सालों में ही उनके दोनों आम के पेड़ों पर फल आने शुरू हो गए हैं।
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