Uttarakhand के इस शहर में बनेगा 52 किमी का रिंग रोड़, कनेक्टिविटी होगी बेहतर
Uttarakhand News : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रिंग रोड का निर्माण शुरू हो गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि साथ ही, राज्य के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे को सुधारने की रणनीति पर भी तेजी से काम किया जाएगा, ताकि प्रदेश में आने वाले लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी और शहरों की कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
52 किलोमीटर लंबी रिंग रोड उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बनाई जाएगी। इस योजना को शुरू करने के लिए प्रबंधन शुरू हो गया है। साथ ही, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को सूचित किया गया है कि एक्सप्रेसवे के साथ-साथ राज्य के सभी नेशनल हाइवे को सुधारने की रणनीति पर जोरों से कार्रवाई की जाएगी। योजना बनाई गई है ताकि प्रदेश में आने वाले लोगों को कोई परेशानी न हो और शहरों की कनेक्टिविटी बढ़ जाए। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री अजय टम्टा ने इस बारे में बहुत कुछ बताया है।
केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य के सभी राजमार्गों को सुधारने के लिए दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का भी काम कर रहा है। इसके अलावा, राज्य में रिंग रोड बनाने की परियोजनाओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है। पिछले दिनों देहरादून में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्रिज एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और लोक निर्माण विभाग द्वारा स्टील सेतु के डिजाइन, निर्माण और रखरखाव पर आयोजित एक कार्यशाला का उद्घाटन अजय टम्टा ने किया।
फॉरेस्ट क्लीयरेंस पर किया जा रहा, लगातार काम
कार्यक्रम के दौरान अजय टम्टा ने बताया कि 52 किलोमीटर लंबी देहरादून रिंग रोड पर फॉरेस्ट क्लीयरेंस का काम चल रहा है। फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिलने के बाद निर्माण की योजना बनाई जाएगी। साथ ही, उन्होंने ऋषिकेश और राज्य के अन्य शहरों में बाइपास की बाधा हटाने की जानकारी दी।
इन योजनाओं पर होगा, कार्य
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नेपाली कृषि से ऋषिकेश बाइपास बनने से गढ़वाल, कुमाऊं और चार धाम जाने वाले लोगों को बहुत राहत मिलेगी। उनका कहना था कि कुंड-गुप्तकाशी बाइपास, काठगोदाम-नैनीताल डबल लेन रोड, ज्योलिकोट से रानीखेत होते हुए गढ़वाल तक डबल लेन रोड, रामनगर से रानीखेत की सड़क और छारछूंग, जौलजीबी तक कनेक्टिविटी सुधारने के प्रयास जारी हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देहरादून और टिहरी झील की कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए प्रस्तावित टनल परियोजना का सर्वे कार्य पूरा हो गया है। परियोजना का डीपीआर बनाया जा रहा है।
स्टील पुल के बारे में बताया
कार्यशाला में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के विशेष सचिव एवं महानिदेशक सड़क विकास धर्मेंद्र सारंगी ने कहा कि देश में सड़कों पर बनाए जाने वाले पुलों का डिजाइन 100 साल का होता है। जब कोई पुल सबसे पहले टूट रहा है, तो इसके पीछे निश्चित रूप से कोई तकनीकी खामी है।
उन्होंने देहरादून में स्टील सेतु के डिजाइन निर्माण और रखरखाव पर आयोजित कार्यशाला में कहा कि पुलों के निर्माण में तकनीक सबसे महत्वपूर्ण है। उत्तराखंड में कई स्टील पुल बनाए जा रहे हैं। इनमें से कई पुलों का निर्माण तकनीकी खामी से हुआ है।
विशेष सचिव ने बताया कि रुद्रप्रयाग के पास नरकोटा में बनाया जा रहा एक पुल हाल ही में खराब हो गया है। कलियासौड़ में बन रहे पुल में भी तकनीकी खामी आई थी। उनका कहना था कि पुलों के निर्माण में होने वाली बाढ़ को कम करना और लंबे समय तक चलने वाले पुलों का निर्माण करना कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है।