MP के इस शहर में 222 साल बाद होगे संपत्ति के असल हकदार, 3 हजार लोगों को मिलेगी प्रॉपर्टी

MP News : तीन हजार मालिकों को इंदौर रेसीडेंसी एरिया में अपनी संपत्ति का अधिकार करीब 222 साल बाद मिलेगा। अब तक प्रशासन ने इस जमीन को दो बार सर्वे किया है। पहले ड्रोन सर्वे था। डोर-टू-डोर सर्वे अब भी होता है। यह जल्द ही प्रकाशित होगा और दावे-आपत्ति बुलाए जाएंगे। इसके बाद, जमीन का असली हकदार निर्धारित होगा।

 

MP Property News : प्रशासन ने कहा कि रेसीडेंसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को अपनी जमीन का ही रिकॉर्ड नहीं मालूम था। पुराने दस्तावेज भी अलग-अलग समय के हैं। अब उनके पास मौजूद दस्तावेजों का अध्ययन करके एक नक्शा बनाया गया है। वर्तमान में रह रहे लोगों को उन दस्तावेजों की जांच करने के अधिकार दिए जाना चाहिए। 1300 एकड़ जमीन और 3000 प्रॉपर्टी यहाँ हैं। इस सर्वे का उद्देश्य इन जमीनों के नक्शे, खसरा और खतौनी बनाना है।

सर्वे में शामिल रेसीडेंसी मुख्य भवन के आसपास का क्षेत्र. 1818 में यह भवन बनाया गया था। यह क्षेत्र उसके आसपास विकसित हुआ था। इसमें एमजीएम मेडिकल कॉलेज, सेंटपॉल स्कूल, रेड चर्च, व्हाइट चर्च, रेडियो कॉलोनी, मुख्य रेसीडेंसी क्षेत्र, सरकारी बंगलों से लेकर डेली कॉलेज और जिला जेल तक की जमीन सर्वे शामिल हैं।

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रेसीडेंसी क्षेत्र का इतिहास

1802 : यशवंतराव होलकर रेसीडेंसी क्षेत्र पर शासन करते थे।
1805 : मंदसौर संधि के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस क्षेत्र को अपनाया, जो उसके रूल्स और रेसीडेंट के अधीन था।
2 अगस्त 1947 : फिर इसे होलकर शासन को दिया गया।
25 अगस्त 1955 : नगर निगम सीमा में शामिल कर लिया गया।
खास बात

मंदसौर संधि के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस क्षेत्र को अपनाया, जो उसके रूल्स और रेसीडेंट के अधीन था।

सर्वे फाइनल होने से विवादित जमीनों का निराकरण भी हो सकेगा

अब तक रेसीडेंसी क्षेत्र का सर्वे नहीं हुआ है। यह जमीन अन्य कई उद्देश्यों के लिए भी उपयोगी है। भू-उपयोग को नियंत्रित नहीं किया गया है। यही कारण है कि बहुत सी सरकारी जमीन उपयोग में नहीं आ रही है। सर्वे पूरा हो गया है और जल्द ही प्रारंभिक प्रकाशन होगा। प्रकाशन सरकारी जमीन का उपयोग करेगा और विवादों को हल करेगा।

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