UP के इस शहर में बनेंगे तोप के गोले, फॉर्जिंग प्लांट का काम हुआ शुरू

UP News :यूपी के कानपुर शहर में अगले साल तक लंबी दूर तक मार करने वाले गोली बनाए जाने लगेंगे जो कि भारत के  रक्षा के लिए फायदेमंद होंगे, फिलहाल कानपुर में कम दूरी तक मार करने वाले गोले बनाए जा रहे हैं.
 

The Chopal, UP News : यूपी के कानपुर शहर में अगले साल तक लंबी दूर तक मार करने वाले गोली बनाए जाने लगेंगे जो कि भारत के  रक्षा के लिए फायदेमंद होंगे, फिलहाल कानपुर में कम दूरी तक मार करने वाले गोले बनाए जा रहे हैं. भारी गोले बनाने के लिए उत्तर प्रदेश में फोर्जिंग प्लांट बनना शुरू हो गया है आईए जानते हैं.

देश और दुनिया में रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत के मिशन में आयुध निर्माणियों की भूमिका लगातार बढ़ रही है। भारतीय सेना के साथ मिडिल ईस्ट के देशों से हुए रक्षा सौदों के क्रम में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री कानपुर में अगले साल से 45 किमी दूरी तक मार करने वाली 155 एमएम तोपों के गोले बनने लगेंगे। अभी यहां पर 25 से 30 किमी मारक क्षमता वाली तोपों के गोले तैयार होते हैं। रक्षा मंत्रालय के डीपीएसयू एडब्ल्यूईआईएल की अर्मापुर स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री कानपुर में भारी भरकम गोले बनाने के लिए फोर्जिंग प्लांट बनना शुरू हो गया है।

नागपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री पर नहीं होगी निर्भरता

अभी तक अधिक मारक क्षमता वाली तोपों के गोलों की मांग पर ओएफसी की नागपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री अंबाझारी पर निर्भरता होती है। ओएफसी का शेल फोर्ज प्लांट 105 एमएम और 125 एमएम की तोपों के गोलों का निर्माण करता है। बोफोर्स तोप 27 से 28 किमी दूरी तक मार करती है। इसके शेल फोर्ज ओएफसी में बनते हैं। धनुष, पिनाक और हॉवित्जर सिस्टम वाली तोपें 45 किमी मार करती हैं। इसके गोले 155 एमएम आर्टिलरी के होते हैं।

यह बड़ी मशीनों वाले शेल फोर्ज प्लांट में बनते हैं। एडब्ल्यूईआईएल के अस्थायी कार्यभार अधिकारी संदीप कन्हाई के ओएफसी में नए शेल फोर्ज प्लांट के बेसमेंट का उद्घाटन करने के बाद इसका निर्माण शुरू हो गया है। अफसरों के मुताबिक 2025 में कानपुर का यह आधुनिक प्लांट बन जाएगा। नए शेल फोर्ज प्लांट के बेसमेंट में अत्याधुनिक मशीनें लगेंगी। इसकी लागत करीब 100 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

135 एमएम का गोला बना लेती है ओएफसी 

ओएफसी का शेल फोर्जिंग प्लांट 105 एमएम से लेकर 125 एमएम क्षमता का है। मांग के अनुरूप ओएफसी 130, 135 एमएम के गोले भी इन्हीं मशीनों से बना लेता है। हालांकि इन गोलों की शेल फोर्जिंग के हिसाब से इस प्लांट की मशीनें नहीं हैं। 155 एमएम क्षमता के गोले भी बनाने की कोशिश की जा चुकी है। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री अंबाझारी के तकनीकिशयन और इंजीनियर भी कानपुर आए लेकिन गोला बनने के बाद टेढ़ा हो गया। रक्षा मंत्रालय ने यहां पर 155 एमएम का गोला बनाने वाली मशीनों फोर्ज प्लांट स्वीकृत किया है।

मिडिल ईस्ट से मिले गोलों के ऑर्डर से बढ़ी मांग

यूएआई भारत से 155 एममएम तोप के गोले खरीदता है। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से 2017 और 2019 में संयुक्त अरब अमीरात ने 40 हजार और 50 हजार 155 मिमी तोपखाने के गोले खरीदे थे। यह करीब 86 मिलियन डॉलर का ऑर्डर था। इसके अलावा फरवरी 2024 में सऊदी अरब ने रियाद डिफेंस एक्सपो के दौरान भारत से 155 एमएम तोपखाने के गोले की खरीद को लेकर भारत के साथ 225 मिलियन डॉलर का समझौता किया है।

45 किलो का होता है 155 एमएम गोला

155 एमएम राउंड के गोले का आकार बहुत बड़ा होता है। इसमें डेटोनेटिंग फ्यूज, प्रोजेक्टाइल, प्रोपेलेंट और प्राइमर जैसे प्रमुख हिस्से होते हैं। हरेक गोला 155 मिमी या 6.1 इंच व्यास का होता है। एक गोले का वजन 45 किलोग्राम होता है। यह दो फीट लंबा होता है। ऐसे गोलों का इस्तेमाल मुख्य रूप से हॉवित्जर सिस्टम में किया जाता है।