UP में अब यहां फिर से होगी चकबंदी, किसानों के खेतों का होगा मूल्यांकन

UP News : लार ब्लॉक के परासी चकलाल में अब फिर से चकबंदी की गई है। चकबंदी के लेखपाल फील्डबुक, पैमाइश और नाप-तौल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में खेती की जमीन में बँटवारा होता रहता है जैसे-जैसे परिवार बढ़ते हैं। ऐसे में पैतृक खेत या बाग की जमीन धीरे-धीरे छोटे-छोटे टुकड़ों में बँटी रहती है। इससे किसानों को छोटे-छोटे जमीन के टुकड़ों पर खेती करने में कठिनाई होती है। 

 

Uttar Pradesh : किसानों की सहूलियत के लिए शुरू की गई चकबंदी की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन किसानों को इसके बारे में बहुत कम पता है या गाँव स्तर पर कुछ प्रभावशाली लोगों को इसे आम लोगों से दूर रखना ही बेहतर लगता है। किसानों के लिए चकबंदी आसान हो सकती है अगर वे लगातार इसे देखते रहते हैं और जानते हैं। इतना ही नहीं, गाँवों में खेत की सीमाओं पर विवाद, सरकारी जमीन पर अतिक्रमण आदि की शिकायतें बढ़ जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप सरकार चकबंदी लगा दी जाती है।

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परासी चकलाल में कंपोजिट स्कूल जाने का कोई रास्ता नहीं था। इसके अलावा, पूर्व में बनाई गई चकबंदी में कई चकरोड एक-दूसरे से जुड़े नहीं थे। परासी मंझरिया और परासी काली मंदिर तक भी जाने का कोई रास्ता नहीं था। ग्राम प्रधान वंदना मन्नू गुप्ता ने विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीणों की समस्याओं को देखते हुए शासन को पत्र लिखकर गांव में फिर से चकबंदी कराने की मांग की। ग्राम प्रधान के पत्र को शासन ने देखा। अब आठ महीने पहले भेजे गए पत्र पर कार्रवाई होने लगी है।

70 के दशक में इस गांव में पहली बार चकबंदी हुई थी। उस समय कई महत्वपूर्ण स्थानों, जैसे स्कूल और मंदिरों, पर चकरोड नहीं छोड़ा गया था। अब सभी महत्वपूर्ण स्थान मार्ग से जुड़ जाएंगे। गांव में लगभग 4500 लोग रहते हैं। गांव में ब्राह्मण, मुसलमान, मल्लाह, यादव और अन्य पिछड़े वर्गों के लोग रहते हैं। गाँव में दो हजार मतदाता हैं। मुझे खुशी है कि शासन ने मेरे पत्र को देखा, प्रधान वंदना मन्नू गुप्ता ने कहा। अब स्कूल और मंदिर तक पहुँच होगी। कोट: चकबंदी विभाग के लेखपालों के साथ पैमाइश की जा रही है। खेतों की जांच की जा रही है। मालियत लगाई जाएगी और विभाग को भेजी जाएगी।

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