Cotton : कॉटन के भाव में आया बड़ा उछाल, मिलों की क्षमता पहुंची 90 प्रतिशत

Cotton Farming : दक्षिणी भारत मिल्स एसोसिएशन ने कहा है कि पिछले 15 दिनों में कपास की कीमतों में 10-12 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई है. इससे टेक्सटाइल वैल्यू चेन में घलबली मच गई है.
 

The Chopal, Cotton Farming : दक्षिणी भारत मिल्स एसोसिएशन ने कहा है कि पिछले 15 दिनों में कपास की कीमतों में 10-12 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई है. इससे टेक्सटाइल वैल्यू चेन में घलबली मच गई है. सिमा के अध्यक्ष एसके सुंदररमन का कहना है कि ऐसे में स्पिनिंग मिलों को भी प्राकृतिक फाइबर की जल्दबाजी में खरीदारी करने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों में शंकर-6 किस्म की कीमतें 55,300 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) से बढ़कर 62,000 रुपये हो गई हैं.

द बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कपास उत्पादन और उपभोग समिति ने अनुमान लगाया है कि कपास का उत्पादन 316.57 लाख गांठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) होगा. जबकि, आयात 12 लाख गांठ और खपत 310 लाख होगी. जबकि, देश से कपास का निर्यात 25 लाख गांठ होगा. खास बात यह है कि कपास सीजन 2023-24 के लिए अंतिम स्टॉक 57.65 लाख गांठ है.

मार्केट में रोज 1 लाख गांठ की सप्लाई

भारत मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि कताई मिलों की क्षमता का उपयोग वर्तमान में 70-75 प्रतिशत से बढ़कर 80-90 प्रतिशत हो गया है. जबकि पहले से ही निर्यात के लिए 20 लाख गांठों का अनुबंध किया जा चुका है. साथ ही कहा जा रहा है कि भारतीय कपास की कीमतें वैश्विक कीमतों के बराबर होने के कारण, निर्यात की मांग में गिरावट आने की संभावना है. उन्होंने कहा कि अनुमानित समापन स्टॉक, कपास की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करेगा. हालांकि, फरवरी 2024 तक लगभग 215 लाख गांठें बाजारों में आ चुकी हैं और दैनिक आवक एक लाख गांठ से ऊपर बनी हुई है. 

इन देशों में कपास की क्या है स्थिति

सुंदररमन ने कहा कि जुलाई 2024 के बाद, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और अन्य देशों में उच्च उत्पादन के कारण वैश्विक बाजार में कपास की उपलब्धता अधिक होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज कपास वायदा जुलाई के बाद भारी उलटफेर दर्ज कर सकता है, जो बदले में भारतीय घरेलू कपास की कीमतों में नरमी आएगी. उन्होंने कहा कि स्पिनिंग मिलों को घबराहट में खरीदारी से बचना चाहिए, क्योंकि आपूर्ति की स्थिति आरामदायक है. 

एसआईएमए अध्यक्ष ने केंद्रीय कपड़ा मंत्री से भारतीय कपास निगम को सलाह देने का आग्रह किया, जिसने इस सीजन में 22 लाख गांठ कपास की खरीद के अलावा एक लाख गांठ बेची है, ताकि मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए जून 2016 (ऑफसीजन 2015-16) से अपनाई जाने वाली नीति अपनाई जा सके.

क्या है सिमा की सरकार से मांग

हालांकि 2016 के दौरान सीसीआई के पास तीन लाख गांठ की सीमित मात्रा थी. सिमा अध्यक्ष ने केंद्र से अप्रैल-अक्टूबर के दौरान सभी कपास किस्मों को 11 प्रतिशत आयात शुल्क से छूट देने की अपील की है, जैसा कि 2022 में किया गया था. ताकि व्यापारियों को आयात समता मूल्य निर्धारण अपनाने और निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करने से रोका जा सके. पीक सीजन के दौरान 11 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने और ऑफ-सीजन के दौरान इसमें छूट देने से किसानों और उद्योग के लिए फायदे की स्थिति पैदा होगी. 

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