Delhi NCR Metro : 391 किलोमीटर क्षेत्र में फैली है मेट्रो, जानें कुल कितने हैं स्टेशन

Delhi Metro 20 Years : मेट्रो को  दिल्ली की लाइफ लाइन कहते हैं। दिल्ली मेट्रो की शुरूआत 2002 में हुई थी। मेट्रो ने अपने 20 साल का सफर पूरा कर लिया है। आज हम दिल्ली मेट्रो की पूरी जर्नी के बारे में जानेंगे।
 

Delhi : दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) राजधानी और एनसीआर क्षेत्र की लाइफ लाइन कही जाती है। अगर आप दिल्ली या उससे सटे शहरों में रहते हैं और मेट्रो की सवारी न की हो, ऐसा हो नहीं सकता। क्योंकि इसके बिना लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। मेट्रो यहां के लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गई है। अगर मेट्रो के किसी वजह से पहिए थम जाएं तो लोग अपना दिल्ली एनसीआर में जाने का प्लान तक कैंसिल कर देते हैं। आपको बता दें कि दिल्ली मेट्रो को 20 साल हो चुके हैं, इसकी शुरूआत 2002 दिसंबर में रेड लाइन से शुरू हुई थी। सबसे पहली मेट्रो शाहदरा से रिठाला के बीच चलाई गई थी।

दिल्ली मेट्रो को दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) एक निजी संस्था चलाती है। डीएमआरसी अपने यात्रियों की सहूलियत के लिए समय-समय पर बदलाव करती रहती है। साथ ही दिल्ली मेट्रो समय के साथ आधुनिक भी होती जा रही है। आइए जानते हैं कुछ ऐसी जरूरी बातें जो शायद आपको पता न हों-

कब और कहां हुई शुरुआत?

वर्ष 2002 में 25 दिसंबर को पहली बार रेड लाइन पर ही शाहदरा से तीस हजारी (8.4 किमी) के बीच मेट्रो का परिचालन शुरू हुआ था। लेकिन अब रेड लाइन पर मेट्रो रिठाला से गाजियाबाद के शहीद स्थल तक चलती है। जिस पर अब कुल 29 मेट्रो स्टेशन हैं। रेड लाइन की लंबाई 34.5 किमी है। इस पर कुल 39 मेट्रो रोजाना संचालित की जाती हैं।

391 किमी क्षेत्र में फैली मेट्रो, कुल 286 मेट्रो स्टेशन

दिल्ली एनसीआर में 12 लाइनों पर मेट्रो दौड़ रही है। दिल्ली एनसीआर में मेट्रो का जाल कुल 391 किमी में फैल चुका है। जिसमें 286 मेट्रो स्टेशन हैं। दिल्ली एनसीआर में 10 लाइन पर मेट्रो दौड़ रही है। जबकि नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बीच एक्वा लाइन पर मेट्रो चल रही है। वहीं, गुरुग्राम में रेपिड मेट्रो चलती है। दोनों शहरों की मेट्रो दिल्ली मेट्रो की लाइनों से जुड़ती हैं। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें ये जरूरी खबर- (Delhi Metro: किस रंग की लाइन पर चलती है कौन सी मेट्रो, और अब क्या होगा बड़ा बदलाव)

दिल्ली मेट्रो का संग्रहालय

पटेल चौक स्थित मेट्रो संग्रहालय पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में मेट्रो रेलवे के बारे में एकमात्र संग्रहालय है।
परिचालन मेट्रो स्टेशन में यह संभवतः दुनिया का एकमात्र संग्रहालय है। यह 31 दिसंबर 2008 को चालू हुआ था।
संग्रहालय के प्रति उत्साही लोगों के लिए, मेट्रो संग्रहालय बहुत सुविधाजनक स्थान पर स्थित है क्योंकि यह शहर के कई अन्य संग्रहालयों जैसे कि राष्ट्रीय संग्रहालय, फिलैटली संग्रहालय, संसद संग्रहालय आदि के निकट स्थित है।
संग्रहालय में ट्रेनों के कामकाजी मॉडल, टनल बोरिंग मशीन के साथ-साथ एक विशाल एलईडी स्क्रीन है जो दिल्ली मेट्रो पर सूचनात्मक फिल्मों को दिखाती है।
यह पटेल चौक मेट्रो स्टेशन के समीप स्थित है, इसलिए आगंतुक संग्रहालय को देर शाम 11 बजे तक भी देख सकते हैं।

कोने-कोने में दिल्ली मेट्रो

दिल्ली मेट्रो का विस्तार राजधानी के हर प्रसिद्ध, जरूरी स्थान तक फैला हुआ है। आप दिल्ली के किसी भी स्थान से मेट्रो लेकर कहीं भी जा सकते हैं। कुछ प्रसिद्ध स्थान, लाल किला, इंडिया गेट, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डा, ऐतिहासिक धरोहरों, सुप्रीम कोर्ट, संसद, बाजारों तक मेट्रो का विस्तार है। कुछ स्थान ऐसे हैं, जहां मेट्रो आखिर तक नहीं जाती, लेकिन वहां के लिए कनेक्टविटी आसान है।

ग्रीन मेट्रो के लिए UN ने भी की थी तारीफ

यूनाइटेड नेशंस (United Nations, संयुक्त राष्ट्र) ने 2011 में दुनिया में पहली बार किसी मेट्रो और रेल सिस्टम को ग्रीन मेट्रो का खिताब दिया था, यानी कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए कार्बन क्रेडिट दिया गया था। उस दौरान यूएन ने कहा था कि अगर मेट्रो नहीं होती तो 18 लाख लोग कार और बसों से यात्रा करते, जिससे कार्बन उत्सर्जन होता।

बनाया पहला एक्स्ट्राडोज्ड ब्रिज

डीएमआरसी ने ब्लू लाइन पर इंद्रप्रस्थ और प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन के बीच 2006 में एक्स्ट्रा-डोज्ड ब्रिज बनवाया था। दिल्ली मेट्रो के लिए काफी बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि रेलवे क्रॉसिंग मुंबई और पूर्वी भारत की ओर जाने वाली सभी महत्वपूर्ण ट्रेनों के रूट के ऊपर से बनाया गया था। ट्रेनों के आवागमन पर बिना प्रभावित हुए पुल का निर्माण करना एक बड़ी चुनौती थी। रेलवे क्रॉसिंग पर बना अपनी तरह का ब्रिज दुनिया में दूसरा और भारत में पहला था।

वर्षा पानी का भी संचयन (Rainwater Harvesting)

दिल्ली मेट्रो बारिश के पानी का संचयन (संग्रहण) भी करती है, जो क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) के खिलाफ लड़ाई में भागीदारी को भी दिखाती है।

दिल्ली मेट्रो को मिले हैं अवार्ड

जापान सोसाइटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स ने फेस एक-तीन के तहत "उच्च गुणवत्ता वाली" बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के लिए दिल्ली मेट्रो को सम्मानित किया। दिल्ली मेट्रो ने 2020 में 'आउटस्टैंडिंग सिविल इंजीनियरिंग अचीवमेंट अवार्ड' भी हासिल किया है।

दिल्ली मेट्रो के एस्केलेटर काफी सुरक्षित

दिल्ली मेट्रो में हर साल 7 करोड़ लोग यात्रा करते हैं, यहां किसी भी देश की जनसंख्या से बहुत ज्यादा है। इसमें बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग भी शामिल होते हैं। भारत में महिलाएं साड़ी भी बहुत पहनती हैं। उनकी सुरक्षा को देखते हुए हर मेट्रो स्टेशन पर ऐसे एस्कलेटर (स्वचालित सीढ़ी) लगाए गए हैं, जिसमें साड़ी के फंसने का डर न रहे।

दिल्ली मेट्रो का लगातार हो रहा विस्तार

दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण की परियोजना में रेल नेटवर्क का और विस्तार किया जा रहा है, जिसके पूरा होने के बाद 65 किलोमीटर का और नेटवर्क जोड़ा जाएगा। वर्तमान में फेस-4 के तीन स्वीकृत प्राथमिकता वाले कॉरिडोर पर निर्माण कार्य प्रगति पर है। उनमें से दो मौजूदा पिंक (मेज पार्क से मौजपुर) और मैजेंटा (आरके आश्रम मार्ग से जापानकपुरी पश्चिम) लाइनों का विस्तार है, जबकि एक नई सिल्वर लाइन तुगलकाबाद को दिल्ली एयरोसिटी से जोड़ेगी।

सुविधाएं-

महिलाओं लिए सुविधाएं

दिल्ली मेट्रो और स्टेशनों पर महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाया गया है।
चलती दिशा में ट्रेन का पहला डिब्बा आरक्षित है। आरक्षित कोच आमतौर पर कहां रुकता है, यह दर्शाने के लिए प्लेटफॉर्म पर संकेत दिए गए हैं। हर कोच में आरक्षित सीटें।
महिला कोच में यात्रा कर रहे पुरुष यात्रियों की जांच के लिए क्विक रिएक्शन टीमों को तैनात किया गया है। साथ ही विशेष अभियान भी चलाए जाते हैं।
दोषियों पर 250/- का जुर्माना लगाया जाएगा।
शराबियों और उपद्रवियों के प्रति जीरो टॉलरेंस।
डीएमआरसी परिसर में सीसीटीवी से निगरानी।
सूर्यास्त के बाद प्लेटफॉर्म पर पेट्रोलिंग तेज कर दी गई है।
तलाशी के लिए स्टेशनों पर महिला सीआईएसएफ कर्मियों को तैनात किया गया है।

दिव्यांगों के लिए सुविधाएं

व्हीलचेयर के लिए अतिरिक्त चौड़ा स्वचालित फ्लैप गेट।
स्टेशनों पर व्हीलचेयर की व्यवस्था, ट्रेनों में व्हीलचेयर के लिए आरक्षित स्थान।
नेत्रहीनों के लिए स्पर्श पथ, अलग शौचालय, स्तर में बदलाव के लिए रैंप, सीढ़ियों के साथ रेलिंग
लिफ्ट में वाइड एक्सेस दरवाजे, हाथ की पटरियां, ऑडियो-विजुअल संकेत, टेलीफोन बटन और ब्रेल में कॉल बटन की सुविधा
मार्गदर्शन के लिए प्रमुख स्थानों पर साइनेज।
ट्रेनों में आरक्षित सीटें, ट्रेन के दरवाजे बंद करते समय ऑडियो/विजुअल इंडिकेशन।
स्टेशन स्टाफ व्यक्तिगत सहायता प्रदान करता है।

पार्किंग, सुरक्षा से लेकर अन्य सुविधाएं

दिल्ली मेट्रो स्टेशनों पर पार्किंग की भी सुविधा दी गई है। आप डीएमआरसी की वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकते हैं कि किस स्टेशन पर पार्किंग और कितना किराया है।
सुरक्षा के लिए हर समय सीआईएसएफ के जवानों (महिला/पुरुष) की तैनाती रहती है।
मेट्रो के हर कोच में लाल रंग का इमरजेंसी बटन भी होता है, जिसे दबाकर आप मेट्रो के चालक को बता सकते हैं। (अगर आपकी तबीतय खराब हो या किसी लावारिस वस्तु और संदिग्ध व्यक्ति को देखा हो)।
मेट्रो में हर जानकारी के लिए साइन बोर्ड भी लगे होते हैं।
मेट्रो स्टेशन पर ट्रेन के आगे कूद आत्महत्या के कई मामले भी सामने आए थे। जिसके बाद डीएमआरसी ने स्टेशन पर लोगों को ट्रैक से दूर रखने के लिए कर्मियों की तैनाती की। साथ ही इलेक्ट्रिक ऑटोमेटिक दरवाजे भी लगाए, दिल्ली मेट्रो के आने के बाद ही खुलते हैं, जब मेट्रो के दरवाजे ओपन होते हैं। इस तरह मेट्रो के ट्रैक पर कोई नहीं जा सकता।

समय-समय पर होते बदलाव, आधुनिक बनती मेट्रो

मेट्रो में पहले टोकन से यात्रा होती थी, फिर स्मार्ट कार्ड के जरिए यात्रा होने लगी। इससे मेट्रो स्टेशनों में भीड़ कम हो गई। इसमें आप एक बार रीचार्ज करवा कर यात्रा कर सकते हैं, जब आपकी रकम खत्म न हो गई। इन कार्डों में आप रीचार्ज पेटीएम या वहां लगी मशीनों के जरिए खुद कर सकते हैं। अब टोकन भी आप वहां पर मशीनों के जरिए ले सकते हैं। आपके मार्गदर्शन के लिए वहां मेट्रो कर्मचारी भी रहते हैं। मेट्रो के लिए समार्ट कार्ड भी बनते हैं, जो डीटीसी की बसों में भी काम करते हैं। हालांकि ज्यादातर बसों में स्मार्ट कार्ड की मशीन काम नहीं करती है।

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