UP के इस जिले में चकबंदी के कारण किसानों को 30 बाद मिले जमीनों के कागजात

UP News: तीन दशक बाद, उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के करनौली और नंदलालपुर गांवों के किसानों को खेती से जुड़ी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। शेष गांवों में भी जमीन के कागजात बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।"

 

UP Agriculture Land Record : तीन दशक बाद, उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले की छिबरामऊ तहसील के दो गांवों के किसान खेती से जुड़ी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। कन्नौज प्रशासन ने तीन दशक पहले आरक्षण विरोधी अभियान के दौरान जलाए गए खेतों के मालिकाना हक के दस्तावेजों को फिर से बनाया। नंदलालपुर और करनौली के किसानों को अभी पत्र भेजे गए हैं। डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ला ने बताया कि शेष 35 गांवों की रिपोर्ट बनाने की अनुमति शासन से मांगी गई है।

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चकबंदी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद छिबरामऊ तहसील के 37 गांवों के किसान अपने चकों पर काबिज हो गए, कन्नौज के डीएम ने बताया। कागजात को अंतिम रूप देने से पहले ही 90 के दशक में फूसबंगला क्षेत्र में आरक्षण विरोधी आंदोलन में चकबंदी कार्यालय जला दिया गया था। 37 गांवों के हजारों किसानों के कागजात इसमें जला दिए गए थे।

खेतों के कागजों की कमी के कारण किसानों को सरकारी कार्यक्रमों का लाभ नहीं मिल रहा था। उनके लिए भी बिना कागज के लोन लेना असंभव था। यदि घटना के बाद ही कागजात दोबारा बनाए गए होते तो कोई समस्या नहीं होती। पीढ़ीगत बदलाव ने समस्या को कहीं अधिक विकराल बना दिया था। भूमि विवाद भी बढ़ गया क्योंकि किसानों के पास कोई रिकॉर्ड नहीं था। कन्नौज पहले फर्रुखाबाद जिला था।

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मामले को हल करने के लिए राजस्व मामलों के जानकारों, चकबंदी निदेशालय के अधिकारियों और किसानों से बातचीत की गई। इसके बाद निर्णय हुआ कि रेकॉर्ड ट्रेस किए जाएंगे। सब-रजिस्ट्री कार्यालय से भी रिकॉर्ड निकाले गए। मौके पर किसानों के कब्जे भी जांचे गए। बाद में कागजात बनाकर उन्हें दिए गए। सितंबर में करनौली के किसानों को जमीन के कागजात दिये गए। नंदलालपुर गांव के किसानों को मंगलवार को जमीन के कागजात दिए गए। डीएम ने कहा कि यह एक पायलट काम था। शासन से अनुमति मिलने पर बाकी गांवों में भी जमीन का रिकॉर्ड बनाया जाएगा।