Dwarka Expressway : 1 किलोमीटर लंबी सर्विस लेन से बदल जाएगी लाखों लोगों की ज़िंदगी, जल्द शुरू होगा काम

Dwarka Expressway : गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) ने अब ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट (TDR) पॉलिसी के तहत सर्विस रोड को द्वारका एक्सप्रेसवे (Dwarka Expressway) के सेंट्रल पेरिफेरियल रोड (CPR) भाग पर बनाने की योजना बनाई है। इसके तहत जीएमडीए की योजना है कि सेक्टर-84 चौराहे से लेकर सेक्टर-36 स्थित EVLE 36 सोसाइटी के सामने से लगभग 1.896 किलोमीटर लंबी सर्विस रोड बनाया जाए।

 

Gurugram, Dwarka Expressway Service Road : गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) ने अब ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट (TDR) पॉलिसी के तहत सर्विस रोड को द्वारका एक्सप्रेसवे (Dwarka Expressway) के सेंट्रल पेरिफेरियल रोड (CPR) भाग पर बनाने की योजना बनाई है। इसके तहत जीएमडीए की योजना है कि सेक्टर-84 चौराहे से लेकर सेक्टर-36 स्थित EVLE 36 सोसाइटी के सामने से लगभग 1.896 किलोमीटर लंबी सर्विस रोड बनाया जाए। द्वारका एक्सप्रेसवे, जो 18.9 किलोमीटर लंबा है और दिल्ली के द्वारका से सेक्टर-84 तक जाता है, का निर्माण अगले साल पूरा हो जाएगा।

इसके लिए जमीन मालिकों और बिल्डरों के साथ जीएमडीए का योजना विभाग बैठक करेगा। उन्हें इस जमीन के बदले टीडीआर का लाभ मिलेगा। भूमि मालिकों को जानकारी दी जाएगी कि एक एकड़ जमीन के बदले 3.8 एकड़ टीडीआर मिलता है। TDR निजी जमीन मालिकों को बेचा जा सकता है। इस TDR के तहत रियल एस्टेट कंपनियां कहीं भी निर्माण कर सकती हैं।

द्वारका एक्सप्रेसवे, जो 18.9 किलोमीटर लंबा है और दिल्ली के द्वारका से सेक्टर-84 तक जाता है, का निर्माण अगले साल पूरा हो जाएगा। यह टेंडर गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) ने लगभग 91 करोड़ रुपये का दिया है। अब जीएमडीए की योजना है कि सेक्टर-84 चौराहे से लेकर सेक्टर-36 स्थित EVLE 36 सोसाइटी के सामने से होते हुए करीब 1.896 किलोमीटर लंबी सर्विस रोड बनाया जाए। इस सेवा रोड के निर्माण के लिए जीएमडीए ने दो महीने पहले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से जमीन की अनुमति मांगी थी। पिछले सप्ताह NHAI ने जमीन लेने से इनकार कर दिया।

बाद में, जीएमडीए के मुख्य अभियंता ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी को स्थिति से अवगत करते हुए कहा कि योजना विभाग से टीडीआर पॉलिसी की मदद लेते हुए इस सेवा रोड के निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध करवाने के लिए मार्गदर्शिका दी जाए। जीएमडीए का लक्ष्य है कि सीपीआर भाग में 10 मीटर चौड़ी सर्विस रोड बनाया जाए। 1.896 किलोमीटर में से 1.021 किलोमीटर में सर्विस रोड बनाने के लिए जीएमडीए को जमीन दी जाती है। 360 मीटर की दूरी पर जमीन बिल्कुल नहीं है। 515 मीटर में कहीं जमीन सिर्फ पांच मीटर तो कहीं आठ मीटर है।

सेक्टर-65 में टीडीआर पॉलिसी लागू नहीं हुई: जीएमडीए ने दो साल पहले सेक्टर-65 में 24 मीटर की सड़क बनाने के लिए टीडीआर पॉलिसी के तहत लगभग सात एकड़ जमीन खरीदने की योजना बनाई थी, लेकिन यह काम नहीं हुआ। जमीन मालिकों ने जमीन के बदले मुआवजा मांगा। जमीन मालिकों का कहना था कि टीडीआर प्राप्त करने के बाद रियल एस्टेट कंपनियों को उसे बेचने में मुश्किल होगी। यह योजना इसके बाद ठंडे बस्ते में चली गई।

ध्यान दें कि एवीएल 36 रिहायशी सोसाइटी के करीब 1400 परिवार सेवा रोड नहीं बनने से परेशान हैं। उन्हें गांव मोहम्मदपुर झाड़सा के पंचायती मार्ग से निकलना होगा। AWL 36 सोसाइटी के निवासी मनोज, प्रदीप और अविनाश का कहना है कि वे पिछले तीन साल से सर्विस रोड की निर्माण प्रक्रिया में असफल रहे हैं।

इन क्षेत्रों में लोगों को फायदा होगा

वर्तमान में सेक्टर-36ए स्थित एवीएल 36 रिहायशी सोसाइटी को कोई सड़क नहीं है, इसलिए यदि इस सेवा रोड का निर्माण होता है तो इससे सबसे अधिक लाभ सेक्टर-36ए स्थित एवीएल 36 रिहायशी सोसाइटी को मिलेगा। उन्हें गांव मोहम्मदपुर झाड़सा का पंचायती रास्ता पार करना होगा। ऐसे में, इस सोसाइटी में रह रहे लगभग 1400 परिवारों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। इस सोसाइटी के निवासियों ने कई बार नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, जीएमडीए के अधिकारियों और जिला उपायुक्त को सर्विस रोड के निर्माण की मांग की है।

टीडीआर पॉलिसी क्या है?

2018 में हरियाणा सरकार ने ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट (TDR) पॉलिसी लागू की। इस पॉलिसी के तहत जमीन मालिकों को टीडीआर का लाभ मिलेगा। इस TDR को जमीन मालिक किसी भी रियल एस्टेट को बेच सकते हैं। TDR के तहत रियल एस्टेट कंपनी को नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग (FAR) से परचेसेबल फ्लोर एरिया रेश्यो नहीं खरीदना होगा। एक एकड़ जमीन की जगह 3.8 एकड़ टीडीआर मिलती है। जीएमडीए के प्रमुख इंजीनियर अरुण धनखड़ ने कहा, "सीपीआर के साथ-साथ 10 मीटर चौड़ी सर्विस रोड बनाने की योजना थी। NHAI ने जमीन खरीदने से इनकार कर दिया है। ऐसे में टीडीआर पॉलिसी के तहत योजना विभाग से जमीन लेने की कोशिश की जाएगी।