गर्मी के सीजन में किसान करें भिंडी की खेती, मिलेगी बंपर पैदावार

भिंडी हमारे दैनिक सब्जियों में एक जरूरी स्थान रखती है, इसके लोकप्रियता के कारण इसके मांग हमेशा देश में बनी रहती है। जिससे किसान भाइयों को अच्छा फायदा होता है। किसान भिंडी की खेती करके कम लागत में बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं।
 

The Chopal : भिंडी हमारे दैनिक सब्जियों में एक जरूरी स्थान रखती है, इसके लोकप्रियता के कारण इसके मांग हमेशा देश में बनी रहती है। जिससे किसान भाइयों को अच्छा फायदा होता है। किसान भिंडी की खेती करके कम लागत में बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। गर्मियों के सीजन में भिंडी की खेती वैसे तो 15 फरवरी से 15 मार्च तक की जाती है। लेकिन किसान अगेती जनवरी के अंत तक और पछेती की बुवाई मार्च के अंत तक करते हैं। 

भिंडी की खेती के लिए बालों में जिसका पीएच मान 6 से 6.8 हो सही मानी जाती है। भिंडी की खेती के लिए सिंचाई सुविधा के साथ-साथ निकासी का भी अच्छा प्रबंध होना चाहिए। गर्मी के शुरुआत में भिंडी की बुवाई 15 फरवरी से 20 मार्च तक सही रहती है। लेकिन इसे आप मार्च के अंत तक लगा सकते हैं।

उन्नत ग्रीष्मकालीन भिंडी किस्में 

विभिन्न कृषि संस्थानों ने देश भर में अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों के लिए भिंडी की अलग-अलग किस्में बनाई हैं। किसान अपने क्षेत्र के लिए किसी भी उन्नत किस्म के बीजों का चयन कर सकते हैं। गर्मियों में किसान ग्रीष्मकालीन भिंडी की उन्नत किस्में (जैसे पूसा ए-5, पूसा सावनी, पूसा मखमली, BORO-4, उत्कल गौरव) और वायरस प्रतिरोधी किस्में (जैसे पूसा ए-4, परभणी क्रांति, पंजाब-7, पंजाब-8, आजाद क्रांति, हिसार उन्नत, वर्षा उपहार और अर्का अनामिका) उगा सकते हैं। 

गर्मी में भिंडी की बुआई कैसे करें 

बुआई के समय और दूरी पर बीज की मात्रा निर्भर करती है। ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 20-22 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। गर्मियों में सीड ड्रिल से या हल की सहायता से 45X20 सेमी की दूरी पर बीज बुआई की जा सकती है। वहीं बीज लगभग 4.5 सेमी गहरा होना चाहिए। बुआई से पहले 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट खाद को अच्छी तरह से मिट्टी में मिला देना चाहिए। 

नाइट्रोजन की आधी मात्रा 40 किलोग्राम, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के समय प्रयोग करें. फसल फूलने पर आधी बची हुई मात्रा छिड़क दी जानी चाहिए। 

भिंडी की फसल को सिंचाई कब करनी चाहिए? 

यदि अंकुरण के समय भूमि में पर्याप्त नमी न हो तो बुआई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें, ताकि फसल अच्छी हो सके। मार्च में 10-12 दिनों, अप्रैल में 7-8 दिनों और मई-जून में 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना उचित है।

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