UP में किसानों ने सड़क चौड़ीकरण व नवीनीकरण कार्य का रोका, जमीन अधिग्रहण का हैं मामला

UP News : उत्तर प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। एक्सप्रेसवे के मामले में उत्तर प्रदेश देश का अग्रिम राज्य है। उत्तर प्रदेश के इस जिले में सड़क का निर्माण किया जाना था। बता दे कि इस सड़क निर्माण का कार्य प्रस्तावित है। शनिवार को सड़क निर्माण कार्य शुरू करने के लिए टीम इस जिले में पहुंची। सड़क निर्माण कार्य करने पहुंची अधिकारियों या कर्मचारी की टीम को नाराज किसानों ने खदेड़ दिया। पढ़ें पूरी खबर 

 

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। एक्सप्रेसवे के मामले में उत्तर प्रदेश देश का अग्रिम राज्य है। उत्तर प्रदेश के इस जिले में सड़क का निर्माण किया जाना था। बता दे कि इस सड़क निर्माण का कार्य प्रस्तावित है। उत्तर प्रदेश के रामनगर से डोगरी राजमहल तक सड़क निर्माण कार्य करने पहुंचे कर्मचारियों को नाराज किसानों ने खदेड़ दिया। किसानों की वजह से निर्माण कार्य बाधित हो गया हैं। रामनगर से दोगारी राजमल तक एक सड़क बनाने की योजना है। शनिवार को सड़क निर्माण का काम शुरू करने पहुंचे कर्मचारियों को किसानों ने भूमि अधिग्रहण नहीं करने से नाराज कर दिया। इसका परिणाम यह था कि निर्माण कार्य ठप हो गया था। किसानों का कहना है कि जब तक भूमि का अधिग्रहण कर मुआवजा नहीं मिलता है। तब तक किसी भी कीमत पर सड़क निर्माण नहीं होने देंगे।

लार-भाटपाररानी मार्ग से रामनगर मोड़ से मटियारा जगदीश, दोगारी मिश्र, पटनेजी होते हुए दोगारी राजमल तक सड़क बनानी है। साथ ही चौड़ीकरण भी होना चाहिए। परीक्षण के लिए, एफडीआर तकनीक से सौ मीटर की सड़क दोगारी राजमल के निकट बनाई गई है। किसानों का दावा है कि सड़क पहले से 20 कड़ी चौड़ी है। 13 फुट पिच रोड है। जबकि काश्तकारों को बिना भूमि अधिग्रहण या मुआवजा दिए 30 फुट या 45 कड़ी में बनाने की कोशिश की जा रही है। जबकि हलका लेखपाल ने इसके बारे में सही कहानी दी है। किसानों की बावजूद कोई नहीं सुन रहा है।

किसानों ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखकर भूमि अधिग्रहण की मांग की है। यहाँ पांच दिन पहले सड़क बनाने के लिए विभाग के कर्मचारी मशीन लेकर आए थे। शनिवार सुबह काम शुरू हुआ। किसानों ने इसकी भनक लगते ही मौके पर पहुंच कार्य रोककर कर्मचारियों को बाहर निकाला। फिर प्रदर्शन किया। इस दौरान कन्हैया दूबे, संजीव दूबे, सुरेश गुप्ता, उषा दूबे, अनिता दूबे, मंजू दूबे, महेंद्र दूबे, बदन, प्रभाकर दूबे, छट्ठू गोंड, हरिलाल गोंड, रामजी दूबे, जनार्दन दूबे और अन्य किसान उपस्थित थे।

ऐसे बनती है एफडीआर तकनीक से सड़क

फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) एक तरह का रिसाइकिलिंग है। इससे बहुत कम संसाधनों में सड़कें बनाई जा सकती हैं। खराब हो चुकी पक्की सड़क को हटाकर केमिकल मिलाकर नया मैटेरियल बनाया जाता है। इसके बाद उसे सड़क पर फेंक दिया जाता है। इसके बाद सड़क बनाई जाती है।

किसानों ने अनिश्चितता में फसल नहीं बोई

सड़क निर्माण को लेकर दोनों तरफ मिट्टी फेंकी गई है, काश्तकार कन्हैया लाल दूबे ने बताया। किसानों की कई एकड़ जमीन इससे सड़क पर चली गई। किसानों ने सोचा था कि सड़क बनाने से पहले अधिग्रहण होगा। इस अनिश्चितता के कारण किसानों ने फसल नहीं बोई थी। उन्हें इससे नुकसान हुआ है।