किसानों की होगी बल्ले-बल्ले अमेरिका की तर्ज पर उगेंगे, भारत में अमरूद व प्याज होगी मोटी कमाई

कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो नैनो रॉक फॉस्फेट और नैनो रॉक जिंक आक्साइड आने के बाद भारत में बागवानी की फसलें और जड़ वाली सब्जियां जैसे आलू, हल्दी, अदरक, प्याज, लहसुन और अमरूद जैसे फसलों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा.
 

The Chopal (New Delhi) : भारत के किसानों को अबतक की सबसे बड़ी खुशखबरी मिलने जा रही है. केंद्र सरकार नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के बाद देश में नैनो रॉक फॉस्फेट और नैनो जिंक ऑक्साइड लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी है. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया के मुताबिक देश में बहुत जल्द ही नैनो रॉक फॉस्फेट और नैनो जिंक ऑक्साइड किसानों के लिए उपलब्ध हो जाएगा. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो नैनो रॉक फॉस्फेट और नैनो रॉक जिंक आक्साइड आने के बाद भारत में बागवानी की फसलें और जड़ वाली सब्जियां जैसे आलू, हल्दी, अदरक, प्याज, लहसुन और अमरूद जैसे फसलों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा.

नैनो रॉक फॉस्फेट और नैनो जिंक ऑक्साइड भारत में आने के बाद अमेरिका की तरह भारत में भी बड़े-बड़े साइज के प्याज मिलने लगेंगे. इससे किसानों को बाजार में फसलों के अच्छे भाव मिलने भी शुरू हो जाएंगे.  नैनो रॉक फॉस्फेट और नैनो जिंक ऑक्साइड के प्रयोग शुरू होने के बाद आम, अमरूद, हल्दी, जड़ वाली सब्जियों के फसल अब अच्छे से पकेंगे. इससे किसानों के उत्पादन में फायदा होगा. इसी के साथ ही प्राइवेट कंपनियों के तुलना में किसानों को 40 गुना सस्ती दरों पर भी मिलेंगे.

किसानों को होने जा रहा बड़ा फायदा

प्रधानमंत्री के हाईपावर कृषि और एमएसपी सलाहकार समिति के सदस्य बिनोद आनंद कहते हैं, ‘नैनो रॉक फॉस्फेट के आने के बाद भारत के अधिकांश क्षेत्रों के मिट्टी में फास्फोरस की व्यापक कमी को दूर कर लिया जाएगा. साथ ही रॉक फॉस्फेट के लिए विदेशों पर निर्भरता भी कम हो जाएगी. यह नैनो उर्वरक सभी प्रमुख फसलों में फास्फोरस की कमी को दूर करेगा. साथ ही फसलों की उत्पादन दक्षता को बढ़ाने के लिए नैनो टेक्नोलॉजी एक कारगर साधन के रूप में विकसित होगा.’

कृषि एक्सपर्ट का क्या कहाँ है, जानें

आनंद आगे कहते हैं, ‘एक नैनो का बोतल 20 ग्राम के बराबर होता है. फसलों की क्वालिटी सुधारने के लिए इन दोनों की बहुत ज्यादा मात्रा में आवश्यकता है. इससे हम क्वालिटी फूड उत्पादन कर सकेंगे. साथ ही किसानों तक पहुंचाने में भी कम उर्जा की खपत होगी. यह किसानों तक 500 एमएल की बोतल में पहुंचता हे, जबकि इसका बैग 45-50 किलो का होता है. नैनो रॉक फॉस्फेट प्रयोग अभी किसान ज्यादा नहीं करते हैं. अभी किसानों के दिमाग में यह है कि यूरिया-डीएपी से ही फसल अच्छा होता है. जबकि, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाशियम भी खेतों के लिए उतना ही जरूरी है.’

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